उत्तराखंड में वर्ष 2025-20 हेतु रु० 430.50 करोड़ की होगी उत्तराखण्ड कैम्पा वार्षिक कार्य योजना…..

देहरादून: उत्तराखण्ड कैम्पा की वर्ष, 2025-26 हेतु Rs. 439.50 करोड़ की कार्य-योजना को राज्य द्वारा अनुमोदन कर इस आशय का समग्र प्रस्ताव स्वीकृति हेतु भारत सरकार को प्रेषित कर दिया गया है। राज्य स्तरीय संचालन समिति की बैठक (दिनांक 31.12.2024) में वार्षिक प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया। कैम्पा अधिनियम के प्राविधानानुसार कार्य-योजना को वार्षिक तौर पर 31 दिसम्बर तक भारत सरकार को उपलब्ध कराया जाना अपेक्षित है। राज्य की ओर से प्रथम बार है कार्य-योजना को निर्धारित समयावधि के अंतर्गत तैयार कर प्रेषित कर दिया गया है और निर्धारित समय-सीमा में ऐसा करने वाला उत्तराखण्ड देश का प्रथम राज्य है।

मा० मंत्री (श्री सुबोध उनियाल जी), वन, उत्तराखण्ड सरकार ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए यह अपेक्षा की है कि समय पर कार्य-योजना प्रेषण से इसकी स्वीकृति भी समय से मिल सकेगी। फलतः योजनान्तर्गत प्रस्तावित कार्यों को भी जन-हित एवं प्रदेश हित में समय से पूर्ण किया जा सकेगा।

प्रस्तावित कार्य-योजना के महत्वपूर्ण बिन्दु निम्नानुसार है:-

प्रस्तावित कार्य-योजना का विवरण

क्षतिपूरक वृक्षारोपण हेतु 1600 है० में वृक्षारोपण तथा अनुरक्षण कार्य।

कैचमेन्ट एरिया, ट्रीटमेन्ट प्लान के बचनबद्ध कार्य।

अन्य स्थल, विशिष्ट कार्य।

मानव वन्यजीव संघर्ष के निवारण हेतु प्रभागों को आधुनिकतम उपकरण उपलब्धता ।

मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम हेतु 20000 है० में लैण्डस्केप का उपचार।

वनाग्नि की रोकथाम।

प्राविधान (८० करोड में)

रु० 72.00 करोड

रु0 55.00 करोड

रु० 20.00 करोड

रु० 8.00 करोड

रु० 38.00 करोड

रु० 12.00 करोड

कार्य-योजना में जल एवं मृदा संरक्षण कार्यों पर विशेष ध्यान केन्द्रित करते हुए इस मद में वर्ष, 2025-26 में 20 करोड लीटर जल ग्रहण क्षमता के प्रस्तावित विकास हेतु रु० 50.00 करोड़ की धनराशि प्राविधानित की गई है।

पारम्परिक वृक्षारोपण के स्थान पर ईको-रेस्टोरेशन के तहत अवनत वनों के सुधार, जल व मृदा संरक्षण कार्य तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम हेतु लैण्डस्केप के उपचार कार्यों को 8-10 वर्षों के प्रोजेक्ट के रूप में क्रियान्वयन का प्रस्ताव दीर्घकालिक लाभ के उद्देश्य से किया गया है।

वानिकी तथा वन्य जीव संरक्षण हेतु शोध, वन कर्मियों को प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार, सीमा स्तम्बों की स्थापना, बुग्यालों के संरक्षण, वन-चौकियों की स्थापना, वन-मार्गों का अनुरक्षण तथा सुरक्षा वैरियरों के उच्चीकरण के भी प्राविधान किये गये हैं।

प्रदेश में डिफरेन्शियल जी०पी०एस० (डी०जी०पी०एस०) विधि के प्रयोग से वन भूमि के सीमांकन हेतु रु0 25.00 करोड़ की धनराशि का प्राविधान किया गया है। प्रदेश में वन भूमि पर अतिक्रमण व सीमा विवादों के निस्तारण में आधुनिकतम तकनीक के प्रयोग की यह महत्वपूर्ण पहल होगी।

कैम्पा के तहत कराए कार्यों के तृतीय पक्ष (Third Party) अनुश्रवण व मूल्यांकन प्राविधानित है तथा भोपाल स्थित इन्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेन्ट (आई०आई०एफ०एम०) द्वारा यह कार्य किया जा रहा है।

मा० मंत्री जी, वन ने बताया कि कैम्पा कार्यों के क्रियान्वयन में स्थानीय जन समुदाय की भूमिका को किरण-केन्द्र के मद्देनजर वृक्षारोपण, जल-संरक्षण व वनाग्नि सुरक्षा में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। वर्ष, 2023-24 व वर्ष, 2024-25 में इसके तहत सृजित क्रमशः 43.16 लाख व 54.20 (अनुमानिक) लाख मानव-दिवस रोजगार सृजन के सापेक्ष वर्ष, 2025-26 की प्रस्तावित कार्य-योजना के क्रियान्वयन से लगभग 60 लाख मानव दिवस रोजगार सृजन का अनुमान है। मा० मंत्री जी ने कहा कि कैम्पा के अन्तर्गत प्रस्तावित कार्यों के क्रियान्वयन से प्रदेश के वनों एवं वन्य जीवों के प्रबन्धन में गुणात्मक सुधार होने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों का वनों से जुड़ाव भी बढ़ेगा।

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