उत्तराखंड में जूनियर के नीचे काम करेंगे सीनियर अफसर गजब हाल……

देहरादून: वर्ष 2005 बैच में छह अधिकारी शामिल हैं, इनमें केवल खुराना, रिद्धिम अग्रवाल, नीरू गर्ग, कृष्ण कुमार वीके, मुख्तार मोहसिन, नीलेश आनंद भरणे शामिल हैं।

उत्तराखंड में गृह विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। विभाग की कार्यप्रणाली के चलते आईपीएस कैडर में विसंगतियां पैदा हो गई हैं, जिसे लेकर उत्तराखंड के पुलिस अधिकारी भी हैरान हैं।

उत्तराखंड कैडर के आईपीएस का केंद्रीय सूची में इंपैनल्ड नहीं हो पा रहा है। वर्ष 2005 और 2006 के 10 आईपीएस में से मात्र दो ही केंद्रीय सूची में आईजी रैंक में इंपैनल्ड हैं, बाकी को इस सूची में अभी भी डीआईजी दर्शाया गया है। जबकि उत्तराखंड में ये अधिकारी आईजी रैंक पा चुके हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने प्रतिनियुक्ति के लिए जो ऑफर लिस्ट भेजी है, उसमें अधिकतर को एक रैंक नीचे दर्शाया गया है। इसका मतलब उनको अभी तक केंद्रीय सूची में इंपैनल्ड नहीं किया गया।

वर्ष 2005 बैच में छह अधिकारी शामिल हैं, इनमें केवल खुराना, रिद्धिम अग्रवाल, नीरू गर्ग, कृष्ण कुमार वीके, मुख्तार मोहसिन, नीलेश आनंद भरणे शामिल हैं। ये सभी अधिकारी राज्य में आईजी बन चुके हैं, लेकिन इनमें से अब तक पांच आईपीएस अफसर केंद्रीय सूची में डीआईजी रैंक में दर्ज हैं। जबकि इसी बैच की रिद्धिम अग्रवाल केंद्रीय सूची में आईजी रैंक पा चुकी हैं।

रिद्धिम इन दिनों उत्तराखंड गृह मंत्रालय में विशेष सचिव गृह के पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 2006 बैच के साथ भी ऐसा ही है। इस बैच की स्वीटी अग्रवाल, अरुण मोहन जोशी, अनंत शंकर ताकवाले और राजीव स्वरूप आईजी बन चुके हैं, लेकिन केंद्रीय सूची में केवल स्वीटी अग्रवाल आईजी हैं।

बाकी तीन अफसर डीआईजी दर्शाए गए हैं।
सचिव गृह कहते हैं कि उत्तराखंड से आठ नाम पीएचक्यू के प्रस्ताव पर ही भेजे गए थे, लेकिन कुछ अफसरों ने प्रतिनियुक्ति में असमर्थता जताई है। उनके नाम ड्रॉप किए जाने को लेकर केंद्र को पत्र लिखा है। जहां तक विसंगति की बात है, केंद्र और राज्य की इंपैनल्ड की अलग-अलग प्रक्रिया है। इंपैनल्ड की प्रक्रिया केंद्र के स्तर से पूरी की जानी है।

तो जूनियर के नीचे काम करना पड़ेगा सीनियर को
अब ऐसी स्थिति बन गई है कि यदि उत्तराखंड कैडर का कोई सीनियर आईपीएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाता है तो उसे वहां अपने से जूनियर अधिकारी के नीचे काम करना पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2006 बैच की आईपीएस स्वीटी अग्रवाल केंद्रीय सूची में आईजी रैंक में इंपैनल्ड हैं और वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी हैं।

जबकि वर्ष 2005 बैच की नीरू गर्ग एक साल सीनियर होने के बावजूद केंद्रीय सूची में अभी भी डीआईजी रैंक पर हैं। ऐसे में जूनियर अफसर कोसीनियर और सीनियर को जूनियर बना दिया गया है।

छोटे राज्य से आठ नाम भेजने पर उठे सवाल
उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य से प्रतिनियुक्ति के लिए आठ नाम भेजने पर सवाल उठ रहे हैं। यहां पहले ही अधिकारियों की कमी है। 2008 बैच की आईपीएस अधिकारी पी रेणुका देवी को उत्तराखंड शासन ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए कार्यमुक्त भी कर दिया है।

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