उत्तराखंड के जिला योजना में स्वरोजगार पर खर्च होगी 15 प्रतिशत राशि, चालू वित्तीय वर्ष में 1000 करोड़ का बजट…….
देहरादून: प्रदेश में स्वरोजगार को अधिक प्रोत्साहन सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। जिला योजना को लेकर जो खाका सरकार ने तैयार किया है उसमें जिलों को स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता से संबंधित योजनाओं के निर्माण पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है। विशेष रूप से उद्यान कृषि मत्स्य पालन दुग्ध विकास जैसे विभागों और आजीविका से संबंधित कार्यों के प्रस्ताव जिला योजना के प्रस्ताव का अंग बनेंगे।
प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिला योजना के बजट में 1000.02 करोड़ की राशि रखी गई है। सरकार जिला योजना संरचना के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जिलों को जारी कर चुकी है।
सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में जिला योजना का जो खाका तैयार किया है, उसमें स्वरोजगार योजनाओं को बढ़ावा देने पर जोर है। सभी जिलों से स्वरोजगार को प्राेत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं को संचालित करने को कहा गया है।
इसका अनुश्रवण भी किया जाएगा। स्वरोजगार से संबंधित केंद्र और राज्य की योजनाओं पर क्लस्टर दृष्टिकोण से समन्वय स्थापित करते हुए काम करने के निर्देश दिए गए हैं।
कृषि व संबंधित क्षेत्र में हो रहा प्रोत्साहन
नियोजन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि स्वरोजगार से संबंधित योजनाओं में न्यूनतम 15 प्रतिशत धनराशि के प्रस्तावों को जिला योजना में सम्मिलित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देकर जन समुदाय में आत्मनिर्भरता का भाव उत्पन्न करना चाहती है। कृषि व संबंधित क्षेत्र में ऐसी योजनाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, साथ में विकास प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों की भागीदारी में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि जिला योजना में सम्मिलित योजनाओं को समयबद्ध क्रियान्वित किया जाएगा।
पुराने चालू निर्माण कार्यों को पूरा करने का निर्देश
जिला योजना में पुराने चालू निर्माण कार्यों को पूरा करने को कहा गया है। इन कार्यों के लिए अवशेष राशि का उपयोग प्राथमिकता से होगा। इससे निर्माण कार्य अधूरे नहीं रहेंगे। इस राशि का उपयोग होने के बाद ही तीन लाख की राशि के नए कार्य चयनित किए जा सकेंगे।
साथ ही जिला योजना में दीर्घकालिक योजनाओं के प्रस्ताव सम्मिलित नहीं किए जाएंगे। ऐसे ही कार्यों का चयन किया जा रहा है, जिन्हें चालू वित्तीय वर्ष में पूरा किया जा सके। अत्यंत आवश्यक होने पर अधिकतम दो वर्ष में योजना को पूरा किया जा सकेगा। ऐसी योजनाओं का चयन भी सावधानीपूर्वक किया जाएगा।