अब उत्तराखंड के 4,430 छात्रों पर सेमेस्टर परीक्षा से वंचित रहने की लटकी तलवार, अभिभावक परेशान……..
देहरादून: 4430 छात्रों पर सेमेस्टर परीक्षा से वंचित रहने की तलवार लटक रही है। जुलाई-अगस्त में हुई सम सेमेस्टर परीक्षा में 829 छात्र कम उपस्थिति के कारण शामिल नहीं हो पाए थे। अब दिसंबर-जनवरी में होने वाली विषम सेमेस्टर परीक्षा के लिए भी छात्रों की उपस्थिति जांची गई है जिसमें 4430 छात्रों की उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम पाई गई है।
वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर बेहतर करियर बनाने के सपने तो छात्रों ने पाले हैं, लेकिन नियमित कक्षाओं में उपस्थित होने को यह छात्र तैयार नहीं हैं।
बीते जुलाई-अगस्त में सम सेमेस्टर परीक्षा से 829 छात्र वंचित रह गए थे, क्योंकि उनकी उपस्थिति न्यूनतम पाई गई। अब दिसंबर-जनवरी में होने वाली विषम सेमेस्टर परीक्षा के लिए 21 नवंबर को छात्रों की उपस्थिति जांची गई। इसमें 4,430 छात्रों की 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति मिली।
यूटीयू विवि प्रशासन ने संबद्ध 32 संस्थानों के प्राचार्य को छात्रों की उपस्थिति सूची के साथ नोटिस जारी किया है। जिसमें यह कहा गया है कि यह छात्र कक्षाओं में नियमित उपस्थित नहीं रहे तो आगामी परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा।
समस्त संस्थानों के निदेशक व प्राचार्य को पत्र जारी
यूटीयू के परीक्षा नियंत्रक डा. वीके पटेल ने समस्त संस्थानों के निदेशक व प्राचार्य को पत्र जारी किया। बताया कि विवि के आर्डिनेंस के अनुसार प्रत्येक छात्र की प्रति सेमेस्टर उपस्थिति 75 प्रतिशत से अधिक होना अनिवार्य है। यदि इससे कम पाई गई तो छात्र और संस्थान को स्पष्टीकरण देना होगा।
कई छात्र तो ऐसे हैं जिनकी उपस्थिति 10 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 30 प्रतिशत तक है। ऐसे छात्रों को सेमेस्टर परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी नहीं किए जाएंगे। बताया कि इससे पहले सम सेमेस्टर परीक्षा के लिए 829 छात्र ऐसे पाए गए, जिनकी उपस्थिति न्यूनतम थी उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया।
यूटीयू के यूएमएस पोर्टल पर उपलब्ध है छात्रों की उपस्थिति
विवि की ओर से छात्रों की संपूर्ण जानकारी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट पोर्टल (यूएमएस) के माध्यम से ली जाती है। हर महीने संबंधित संस्थानों को छात्रों की उपस्थिति का संपूर्ण ब्योरा देना होता है।
अंतिम बार 21 नवंबर को प्राप्त उपस्थिति के आंकड़ों को आधार बनाकर विवि ने कालेज के प्राचार्य व निदेशकों को चेताया है कि आज से ही कम उपस्थिति वाले छात्रों को कड़ी चेतावनी दी जाए अन्यथा विवि स्तर पर संस्थान और छात्र दोनों पर कार्रवाई की जाएगी।
कई निजी विश्वविद्यालय व कालेज में उपस्थिति के कोई मानक नहीं
सरकारी, सहायता प्राप्त अशासकीय और स्ववित्तपोषित उच्च शिक्षा संस्थानों में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है, लेकिन देखना में आ रहा है। चंद उच्च शिक्षा संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश में उपस्थिति मानक की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। इसमें सरकारी और निजी क्षेत्र के सभी उच्च शिक्षा संस्थान हैं।
जब दाखिला देने वाले संस्थान ही उपस्थिति को लेकर सख्त नहीं हैं तो छात्र भी कक्षाओं में आना मुनासिब नहीं समझते हैं। कई कालेजों में तो छात्र घर से कालेज के लिए आते हैं और सैर सपाटा कर शाम को लौट जाते हैं।
दून-हरिद्वार के कई संस्थान उच्च शिक्षा के नाम पर कर रहे व्यापार
देहरादून, हरिद्वार के दर्जनों ऐसे उच्च शिक्षा संस्थान हैं जो केवल फीस लेने तक सीमित हैं। इन संस्थानों के प्रबंधन केवल उच्च शिक्षा के नाम पर व्यापार कर रहे हैं। यह संस्थान केवल यूटीयू से ही नहीं, बल्कि एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि व श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि से भी संबद्ध हैं।
पारंपरिक पाठयक्रम जैसे बीए, बीएससी एवं बीकाम में ही नहीं, बीटेक, एमबीए, एमसीए, एमटेक, पीजीडीसीए, बीफार्मा, एमफार्मा, बीएड, एलएलबी, बीए-एलएलबी जैसे प्रोफेशनल कोर्सों में भी मोटी सेमेस्टर फीस वसूलते हैं और सत्र के अंत में केवल डिग्री देने का काम करते हैं। इन संस्थान की नियामक संस्था की ओर से नियमित जांच-पड़ताल नहीं की जाती है।