उत्तराखंड में अब रोजगार के आकड़ो पर रार , हरदा vs सुबोध , अरविंद…..
देहरादून : उत्तराखंड में सरकारी नौकरियां देने के मामले में राजनीति छोड़ने के अपने बयान में पूर्व सीएम हरीश रावत खुद ही उलझ गए। 3200 सरकारी नौकरियां पाने वाले लोगों का नाम बताने पर राजनीति छोड़ देने की चुनौती पर बीते रोज शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे 10 हजार नौकरियां का ब्योरा दे चुके हैं। आज सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने भी रावत पर तीखा हमला बोला।
आम तौर पर हर छोटे बड़े मुद़्दे पर सोशल मीडिया अतिमुखर रहने वाले पूर्व सीएम रावत ने आज नौकरी और अपनी चुनौती पर उठते विवाद पर देर शाम तक खामोशी साधे रखी। यह जरूर है कि कांग्रेस संगठन के दूसरे नेता जरूर रावत के बयान का बचाव करने का प्रयास करते रहे। प्रदेश उपाध्यक्ष और मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार ने कहा कि शिक्षा मंत्री नियुक्तियों को लेकर झूठे दावे कर रहे हैं।
बेसिक स्तर पर की गई नियुक्तियां कांग्रेस सरकार द्वारा लागू आरटीई एक्ट के कारण ही सृजित हुई है। बाकी एलटी-प्रवक्ता के पद भी ज्यादातर कांग्रेस सरकार में स्वीक़ृत थे। रही बात अतिथि शिक्षकों की तो, तो यह व्यवस्था लागू ही कांग्रेस की पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार ने की थी। भाजपा ने तो शुरू से ही इस व्यवस्था को उलझाए रखा।
खनन पर लेकर भी सुरेंद्र ने सरकार पर हमला बोला। कहा कि कहा जा रहा है कि कांग्रेस सरकार में खनन के पट्टे जारी हुए हैं। लेकिन वर्तमान में रिन्यू करने के नाम पर क्या क्या हुआ है, किसी से छिपा नहीं है। सरकार खनन और शराब माफिया की गोद में बैठी है। चाहें तो हम प्रमाण भी दे सकते हैं। रावत के राजनीति से सन्यास लेने के बयान पर सुरेंद्र ने कहा कि, रावत सन्यास नहीं लेंगे, बल्कि जनता के आशीर्वाद से उत्तराखंड से भाजपा को राजनीति से सन्यास दिलाने का काम करेंगे।
सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल के दावों पर भी सुरेंद्र ने सवाल उठाए।प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरादत्त जोशी ने रावत के दावे को सही बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार रोजगार के मोर्चे पर पूरी तरह से विफल रही है। रोजगार देने के बावजूद लोगों से रोजगार छीनने का काम काम किया है।
नया सीएम बनाने आए हैं विजय बहुगुणा
प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने कहा कि भाजपा के भीतर जबरदस्त असंतोष चल रहा है। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा प्रदेश का नया सीएम दिलाने के खास मिशन के तहत ही देहरादून आएं हैं। वो खुद भी कह चुके हैं बार बार सीएम बदलना गलत नहीं बल्कि अच्छी परंपरा है।
रावत अपने बयान अड़िग, सरकार से मांगा पूरा रिकार्ड
रोजगार के मुद्दे पर पूर्व सीएम हरीश रावत राजनीति छोड़ देने के अपने बयान पर अड़िग हैं। शनिवार को देहरादून लौटने पर रावत ने कहा कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत ने दावा किया था कि उन्होंने सात लाख लोगों को रोजगार दिया। फिर तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने इस संख्या को 7.5 लाख कर दिया।फिर तीरथ सिंह रावत सीएम बने तो उन्होंने 22 हजार नौकरी देने का दावा कर दिया।
अब पुष्कर सरकार 23 हज़ार का दावा कर रही है। अब शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडेय और सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल भी नई फीगर ले के आ गए हैं। रावत ने कहा कि पहले सरकार अपने आंकड़ों को दुरूस्त कर ले, फिर मेरे पास आए। बकौल रावत, मैंने 3200 लोगो के नाम मांगे हैं और मैं अपनी बात पर पूरी तरह से अडिग हूँ।
सरकारी नौकरियों पर पूर्व सीएम हरीश रावत की चुनौती को स्वीकारते हुए शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि सिर्फ शिक्षा विभाग में ही दस हजार लोगों को नौकरी दी गई। इसके साथ ही पांडेय ने पूर्व सीएम से अनुरोध किया कि वे राजनीति से संन्यास न लें। लेकिन इतनी कृपा जरूर करें कि जनता के बीच भ्रामक तथ्य रखना छोड़ दें।
मालूम हो बीते रोज हरीश रावत ने हल्द्वानी में कांग्रेस की शंखनाद जनसभा में सरकार को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा सरकार अपने बीते कार्यकाल में सरकारी नौकरी पाने वाले 3200 लोगों के नाम बता दे तो वो राजनीति छोड़ देंगे। शुक्रवार को इस पर पलटवार करते हुए शिक्षा मंत्री पांडेय ने बेसिक और माध्यमिक स्तर पर की गई शिक्षकों की भर्तियों का ब्योरा पेश किया।
पांडेय ने कहा कि बेसिक स्तर पर 1881 पदों पर नियुक्तियां दे दी गई हैं और 2648 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। माध्यमिक शिक्षा में एलटी के पदों पर 1818 पदों पर नियुक्तियां की जा चुकी हैं और 1431 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। इसी प्रकार,प्रवक्ता के 1414 पदों पर काफी समय पहले ही नियुक्तियां की जा चुकी हैं और 571 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। पांडेय ने कहा कि यह ब्योरा तो स्थायी नियुक्तियों का है।
अतिथि शिक्षक के रूप में शिक्षा विभाग में 4410 पदों पर बेरोजगारों को नियुक्त किया गया है। पहले उन्हें 15 हजार रुपये मानदेय मिलता था, अब सरकार उन्हें 25 हजार रुपये मानदेय दे रही है। शिक्षा मंत्री ने हरीश रावत से कहा कि उक्त आंकड़ों से आपका भ्रामक वक्तव्य धूमिल होता है। साथ ही आपको एक सुझाव देना चाहता हूं कि आप, संन्यास लेने की बात करने बजाय अपने सूचनाओं के स्रोत, सही और मजबूत करें।