अब उत्तराखंड में कांग्रेस जुटी राहुल की रैली की तैयारियों में, मोदी की रैली से कमतर ना हो इसलिए नेताओ को भीड़ लाने की जिम्मेदारी….

देहरादून : राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड में 16 को आयोजित होने वाली कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने के लिए पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। रैली की सफलता के लिए विधायकों, पूर्व विधायकों सहित प्रदेशभर के तमाम पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं। पार्टी का पूरा फोकस इस बात पर है कि गत दिनों हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से राहुल गांधी की रैली किसी भी लिहाज से कमतर नहीं दिखनी चाहिए। पार्टी पीएम मोदी की रैली से अधिक भीड़ जुटाने की जुगत में है।

सुबह 11 बजे शुरू हुआ बैठकों का दौर देर शाम तक चलता रहा।
बुधवार को पार्टी प्रदेश कार्यालय में राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने के लिए प्रात: 11 बजे शुरू हुआ बैठकों का दौर देर शाम तक चलता रहा। इस दौरान कोर कमेटी के सदस्यों ने बारी-बारी जिलावार प्रदेश पदाधिकारियों की बैठकें लीं। अंतिम समय में सीडीएस बिपिन रावत के निधन का समाचार प्राप्त होने के बाद उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद बैठकें स्थगित कर दी गईं। इस कारण देहरादून जिले के पदाधिकारियों की बैठक नहीं हो पाई।

पार्टी प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, प्रभारी देवेंद्र यादव, सह प्रभारी दीपिका पांडेय सिंह और पूर्व सीएम हरीश रावत की अध्यक्षता और कोर कमेटी के सदस्यों की उपस्थिति में हुई बैठकों में जिलावार पदाधिकारियों से मंत्रणा की गई। इसमें सांसद, पूर्व सांसद, एआईसीसी पदाधिकारी एवं सदस्य, एआईसीसी की ओर से नामित लोकसभा एवं जिला पर्यवेक्षक, प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारी, संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों, विधायकों, पूर्व विधायकों, 2017 के विधानसभा प्रत्याशियों, 2022 के दावेदार, ब्लाक, नगर कांग्रेस अध्यक्ष, न्याय पंचायत प्रभारी शामिल हुए। इसके अलावा हरिद्वार नगर निगम के मेयर, पार्षद, पार्षद प्रत्याशी, अनुषांगिक संगठन, विभाग, प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्ष एवं जिलाध्यक्षों को भी रैली में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

राहुल गांधी की रैली तय करेगी हवा का रुख
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के किसी बड़े नेता की उत्तराखंड में यह पहली रैली होने जा रही है। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी इस रैली के हीरो होंगे। अब पार्टी प्रदेश पदाधिकारियों के लिए राहुल की रैली को सफल बनाना बड़ी चुनौती है। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि राहुल की यह रैली आगामी विधानसभा के चुनाव में हवा का रुख तय करेगी।

गत दिनों हुई पीएम मोदी की रैली को पार्टी यह कहकर प्रचारित कर रही है कि अब मोदी का जादू खत्म हो गया है। उनके कद के मुताबिक न तो भीड़ जुटी और न ही लोगों ने उन्हें पहले वाले अंदाज में सुना। ऐसे में राहुल गांधी की रैली में बड़े पैमाने पर भीड़ जुटाकर पार्टी राज्य में सत्ता बदलाव के रूख को संदेश की तरह प्रसारित करना चाहती है।

कौन कितनी भीड़ जुटाएगा, इस पर रहा फोकस
पार्टी प्रदेश कार्यालय में राहुल की रैली को लेकर बंद कमरे में चली मैराथन बैठकों का लब्बोलुआब यही रहा, कौन कितनी भीड़ जुटाएगा। रैली में जुटने वाली भीड़ ही उसकी सफलता का पैमाना होगी। इसलिए जिलावार हुई तमाम बैठकों में पूरा फोकस ही इस बात पर रहा है कि कैसे रैली में अधिक से अधिक भीड़ जुटाई जाए। जिलों से आए पदाधिकारियों ने भी भीड़ जुटाने को लेकर बड़े दावे प्रस्तुत किए हैं।

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