उत्तराखंड कांग्रेस में हरक के हमदर्द बहुत लेकिन क्या आज भी हरक की घर वापसी मुश्किल, क्या हरीश सार्वजनिक रूप से माफी मनवाकर ही मानेंगे…..

देहरादून : भाजपा से निष्कासित कर दिए जाने के बाद डॉ. हरक सिंह रावत कांग्रेस का दरवाजा खटखटा रहे हैं पर उनकी वापसी को लेकर राज्य कांग्रेस के नेताओं में मतभेद हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उनकी घर वापसी के खिलाफ हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम और गणेश गोदियाल का रुख इस मामले में नरम है। समझा जा रहा है कि, कांग्रेस हाईकमान मामले में अंतिम फैसला ले सकता है।

हरक सिंह ने कांग्रेस में वापसी को लेकर कांग्रेस के अंदर अपने शुभचिंतकों के साथ कई नेताओं से भेंट भी की है।इस सबके बावजूद उनकी वापसी को लेकर कई मुश्किलें हैं। हरीश रावत 2016 में पार्टी की सरकार गिराने में उनकी भूमिका को लेकर विरोध कर रहे हैं। रावत का कहना है कि, उनकी वापसी से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर विपरीत असर पड़ेगा। हरीश रावत उन्हें इस शर्त के साथ माफ करने के लिए तैयार है कि हरक को अपनी गलती स्वीकार करनी होगी।

हालांकि, प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने यह कहकर हरक से हमदर्दी दिखाई है कि, किसे लिया जाना है और किसे नहीं, यह फैसला हाईकमान करेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी कहा कि, हरक की वापसी का फैसला नेतृत्व करेगा।

पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि पार्टी ने अभी इस बाबत मुझसे पूछा नहीं है। पार्टी इस विषय पर सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगी। राज्य की राजनीति, समाज में क्या प्रतिक्रिया होगी, उसके परिणाम क्या होंगे, सभी पर विचार करने के बाद ही निर्णय होगा।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि विपत्ति के समय हरक ने भाजपा का साथ दिया था, अब उन्हें जिस प्रकार निष्कासित किया है, नि:संदेह हरक सिंह आहत हुए हैं। हरक की वापसी पर निर्णय पार्टी के शीर्ष नेता लेंगे।

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि हरक सिंह हमारे साथी-सहयोगी रहे हैं। यदि वो वापस आना चाहते हैं तो पार्टी हाईकमान इस पर निर्णय लेगा। मंने सुना है कि हरक सिंह ने कांग्रेस के लिए काम करने का निर्णय किया है। यदि वो आते हैं तो पार्टी को ताकत मिलेगी।

फफककर रोए, बोले-कांग्रेस के लिए बिना शर्त काम करूंगा।
पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत सोमवार को एकबार फिर फफक फफक कर रो पड़े। उनका गला भर आया। आंखों से आंसु रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। ये पहला मौका नहीं है, जब हरक के आंसू झलके हों। कई बार मीडिया के सामने हरक इसी तरह आंसू बहाते नजर आए हैं। रोते हुए बोले की यहां कोई दूध का धुला नहीं है। हमाम में सब नंगे हैं।

आंसू बहाने के दौरान भी पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भाजपा के खिलाफ तीखे तेवर अपनाए रहे। भाजपा को लेकर बोले की शीशे के घर वाले दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फैंकते। मैं इन सभी को ऊपर से नीचे तक जानता हूं। कोई दूध का धुला नहीं है। हमाम में सब नंगे हैं। मुझे सोशल मीडिया पर चली मनगढ़ंत खबरों के आधार पर हटाया गया। अब वे कांग्रेस के लिए बिना शर्त, निस्वार्थ भाव से काम करेंगे। कांग्र्रेस में बिना शामिल हुए भी काम करते रहेंगे।

भाजपा पर फटते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा कहां से राज्य की सत्ता में वापसी करेगी। ऐसी आएगी तो बिल्कुल भी सत्ता में नहीं आएगी। मुझे बिना सोचे समझे निकाल दिया गया, तो अब मैं क्या करुंगा। मैं घर बैठने वाला व्यक्ति नहीं, कफन बांध कर राजनीति करता हूं। मुझे मेरा कोई भविष्य नहीं चाहिए। सिर्फ इस उत्तराखंड राज्य का भविष्य चाहिए।

राज्य में कांग्रेस की सरकार आ रही है। पूर्ण बहुमत की सरकार आ रही है। जो नहीं भी आनी थी, अब पूरी तरह आ रही है। मैं कांग्र्रेस से अब बात करुंगा। कांग्रेस में जाउंगा, नहीं तो कहीं नहीं जाउंगा। बिना शामिल हुए भी कांग्रेस के लिए काम करता रहूंगा। कोई शर्त नहीं, बिना शर्त काम करंगा। बिना शामिल हुए भी काम करुंगा। निस्वार्थ भाव से काम करुंगा।

कब कब रोए हरक।
वर्ष 2003 में जैनी प्रकरण में मंत्री पद गंवाने के बाद हरक सिंह मीडिया के सामने फूट फूट कर रोए थे। इसके बाद 2012 में मंत्री पद जूते की नोक पर रखने और मंत्री न बनने को लेकर धारी देवी की कसम खाने के दौरान भी हरक भावुक हुए। त्रिवेंद्र रावत सरकार में भी कई बार मीडिया के सामने हरक रोए। कर्मकार बोर्ड प्रकरण रहा हो या फिर कोई और मौका, वे मीडिया के सामने कई बार भावुक हुए। चुनाव न लड़ने की अपनी मंशा जताने के दौरान भी उनकी आंखे छलक उठी थीं।

स्वीकारा कि अनुकृति के लिए मांग रहा था टिकट।
हरक सिंह ने स्वीकारा की वो भाजपा में बहू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडोन से टिकट की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे भाजपा चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी से मिले थे। उन्हें बताया कि वे कुछ समय पहले लैंसडोन गए थे। वहां उन्होंने देखा की अनुकृति वहां बहुत बेहतर काम कर रही है। आप उसके नाम पर विचार करें। वे स्वयं चुनाव नहीं लड़ना चाहते। इस पर उन्हें आश्वासन मिला था कि अमित शाह से बात की जाएगी।

एक टिकट मिला तो अनुकृति लड़ेंगी!
पार्टी के सामने एक और बड़ी मुश्किल है। हरक सिंह रावत अपने साथ बहू के लिए भी टिकट मांग रहे हैं। कांग्रेस एक परिवार और एक टिकट का फॉर्मूला अपना चाहती है। लिहाजा, इस मुद्दे पर भी उनकी घर वापसी में देर लग सकती है। यह भी माना जा रहा है कि, यदि कांग्रेस ने एक ही टिकट दिया तो हरक खुद की बजाए अनुकृति को चुनाव लड़ाना पसंद करेंगे। पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि कांग्रेस सभी नेताओं से चर्चा कर हरक सिंह की वापसी पर कोई फैसला लेगी।

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