उत्तराखंड में हरक सिंह ने कभी नहीं सोचा होगा राजनीति में ये दिन भी देखने होगे, 2012 में इसी कांग्रेस में बांटे टिकट, आज खुद के टिकट के भी लाले, 2016 में कई थे साथ आज रह गए अकेले…..

देहरादून : राजनीति में कोई यह नहीं कह सकता कि ऊंट किस करवट बैठेगा जी हां प्रदेश के कद्दावर नेता हरक सिंह रावत ने भी नहीं सोचा होगा कि उनके साथ ऐसा होने जा रहा है कहां तो बीजेपी के साथ तमाम दबाव के बावजूद बीजेपी हरक बात मान रही थी और कहां आज वह बीजेपी से बर्खास्त है और कांग्रेस में शामिल होने के लिए मान मनोवल करते हुए नजर आ रहे हैं।

जिस हरीश रावत को पूरे 5 साल हरक सिंह रावत ने जमकर कोसा आज उसे बड़ा भाई बता रहे हैं साथ ही 100 बार माफी मांगने की भी बात कर रहे हैं यह मजबूरियां ही तो हैं जो हरक सिंह रावत को आज इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है जबकि हरक सिंह रावत उत्तराखंड के उन कद्दावर नेताओं में हैं जिनको विधानसभा में होना ही चाहिए क्योंकि हरक सिंह रावत पर भले ही जितने आरोप लगे लेकिन सदन में रौनक हरक के बोलने से ही आ जाती है।

लेकिन हरक सिंह रावत ने भी यह कभी नहीं सोचा होगा कि 2016 में जिस राजनीति के केंद्र बिंदु में हरक सिंह रावत थे और उनके साथ बड़ी संख्या में विधायक बीजेपी में शामिल हुए थे लेकिन आज के हालात ऐसे हैं कि हरक सिंह रावत के साथ आज कोई भी नहीं है।

वही हालात यह भी है कि अगर कांग्रेस में हरक सिंह शामिल हो भी गए लेकिन 2012 में जिस कांग्रेस में आरक्षण टिकट बांट रहे थे आज उसी कांग्रेस में शामिल होने के लाले पड़े हैं और टिकट की तो बात दूर की है।

मंत्री हरक सिंह रावत सियासत के बदले नए रंग को देखकर फिलहाल दंग हैं। उन्होंने शायद सोचा नहीं था कि अचानक वह ऐसे सियासत के वेटिंग रूम में आ गए हैं। वह भी निपट अकेले। हरक सिंह रावत को 2016 में हुई उत्तराखंड की सियासत की सबसे बड़ी बगावत का सूत्रधार माना जाता है।बेशक इस बगावत का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने किया। लेकिन बगावत की पूरी पटकथा हरक सिंह रावत ने ही लिखी।

लेकिन पिछले करीब पांच साल में सियासत का वह रंग नहीं रहा, जो 2016 में हरक सिंह छोड़ आए थे। तब कांग्रेस से पूरी बरात के साथ भाजपा में गए थे। तब विजय बहुगुणा के साथ तत्कालीन विधायक उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बतरा, कुंवर प्रणव चैंपियन, शैला रानी रावत, अमृता रावत, डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल खूब हो हल्ले के साथ भाजपा में शामिल हुए और कांग्रेस सरकार गिर गई।

2022 चुनाव में एक बार फिर सत्ता के भीतर बगावत की पुरानी कहानी दोहराने की चर्चाएं गरमा रही थीं। एक बार फिर इस संभावित बगावत का सूत्रधार हरक सिंह रावत को बताया जा रहा था। सियासी हलकों में चर्चा गर्म थी कि हरक सिंह जिस बरात के साथ भाजपा में आए थे, उसकी साथ कांग्रेस में लौट जाएंगे। इससे पहले की चर्चा हकीकत में बदलती, भाजपा और उसकी सरकार ने हरक पर बर्खास्तगी तलवार चला दी। ऐसे वक्त में हरक सिंह के निपट अकेले हैं।

हरक का चरित्र मौसम की तरह बदलता है: त्रिवेंद्र
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भाजपा से निष्कासित हरक सिंह रावत पर हमला बोलते हुए कहा कि हरक सिंह रावत का चरित्र मौसम की तरह बदलता है। वह घड़ियाली आंसू बहाते हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह एक ऐसे राजनेता हैं। जिसने कोई भी पार्टी नहीं छोड़ी और कालेज से लेकर उनकी राजनीति के पूरे जीवन को देखा जाए तो वह कभी एक विधान सभा से चुनाव नहीं लड़े। उन्होंने कहा कि वह देवी देवताओं के नाम पर रोते हैं।

उन्होंने हरक सिंह की कालेज की राजनीति को याद करते हुए कहा कि उन्हें याद है जब कालेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। उस दौरान चुनाव से तीन दिन पहले उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया। जो एनएसयूआई के बैनर तले चुनाव लड़ गए। हरक कभी किसी एक दल के नहीं रहे। वह कभी जनता दल फिर कांग्रेस फिर भाजपा और फिर कांग्रेस यही करते रहते हैं। उनके चरित्र की खास बात यह भी है कि वह घड़ियाली आंसू बहाना, आंसू बहाकर इमोशनल ब्लैकमेलिंग करते हैं।

हरक ने केवल भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का मॉडल पेश किया।
भाजपा से निष्कासित किए गए पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री से पहले ही केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधायक मनोज का कहना है कि हरक सिंह रावत ने भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का मॉडल पेश किया है। डॉ. हरक के कुप्रबंधन के दर्जनों मामले उनके पास हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर वह सामने रखेंगे। दरअसल, भाजपा में रहते डॉ. हरक सिंह रावत तीन विधानसभा सीटों केदारनाथ, लैंसडोन और डोईवाला की डिमांड कर रहे थे। लेकिन इसके बाद उनकी भाजपा से विदाई हो गई।

अब उनके कांग्रेस में आने की अटकलों के बीच इन सीटों पर पहले से तैयारी कर रहे कांग्रेस पार्टी के दावेदारों का बैचेन होना स्वभाविक है। ऐसे में केदारनाथ से कांग्रेस पार्टी के विधायक मनोज रावत ऐसी नौबत आने से पहले ही हमलावर हो गए हैं। अमर उजाला से बातचीत करते हुए मनोज ने कहा कि डॉ. हरक सिंह रावत लोकतंत्र के हत्यारे हैं। उन्हें कांग्रेस पार्टी में लिया ही नहीं जाना चाहिए। उन्होंने भाजपा में मंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार ओर कुप्रबंधन का मॉडल पेश किया है। उनका कार्यकाल उनके विभागों में भ्रष्टाचार के लिए जाना जाएगा। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण कर्मकार बोर्ड से लेकर कोटद्वार में फर्जी मेडिकल कॉलेज है। जिसके निर्माण के लिए एक संस्था को बिना अनुमति दो करोड़ रुपये जारी कर दिए गए।

उन्होंने जब यह मुद्दा विधानसभा में उठाया, तब वह पैसे सरकार को वापस करने पड़े। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब किसी डीपीआर के नाम पर दो करोड़ रुपये घूस के रूप में दिए गए। उन्होंने कहा कि तब से डॉ. हरक को सपने में भी मनोज रावत और केदारनाथ सीट याद आती है। उन्होंने कहा कि उनके पास हरक सिंह रावत से जुड़े ऐसे दर्जनों मामले हैं, जिनका वह वक्त आने पर खुलासा करेंगे।

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