उत्तराखंड में बीजेपी के तमाम सर्वे पूरे, पार्टी के अंदरूनी सर्वे में इतनी ही सीटें जीत सकती है बीजेपी, 30 नए चेहरों को मिल सकता है मौका….
देहरादून : उत्तराखंड बीजेपी अपना चुनावी सर्वे पूरा करवा चुकी है ऐसे में पार्टी आलाकमान के पास हर सीट का जीत और हार का खाका तैयार है माना जा रहा है भले ही बीजेपी 60 पार का नारा दे रही हो लेकिन पार्टी के सर्वे में केवल 40 से 42 सीटों में ही उन्हें बढ़त दिखाई दे रही है इनमें कई सीटें ऐसी हैं जिनमें बीजेपी के विधायक मजबूत हैं या फिर जीतने की स्थिति में है वही पार्टी आलाकमान के सर्वे में 30 ऐसी सीटें हैं जिसमें पार्टी का जीतना मुश्किल है लेकिन ना मुमकिन नहीं इनमें से ज्यादातर सीटें बीजेपी के विधायकों के पास है ऐसे में माना जा रहा है पार्टी लगभग 25 से 30 सीटों पर नए चेहरे उतार सकती है।
माना जा रहा है की पार्टी इन सीटों पर नए चेहरों पर दांव खेल सकती है डाउनलोड द पार्टी की कोशिश यही है कि भले ही सीटें कम जीते लेकिन भविष्य में पार्टी का नेतृत्व उन विधानसभाओं में साफ नजर आएगा प्रदेश के विभिन्न चुनावी सर्वे में यह बात आई है कि बीजेपी सत्ता में वापस तो आ सकती है लेकिन पिछली बार की तरह 57 सीटें पाना मुश्किल है ऐसे माना जा रहा है पार्टी नए चेहरों पर दांव खेल सकती है पार्टी के कई ऐसी विधानसभा में हैं जहां विधायक तीसरे नंबर पर रहने की स्थिति में पहुंच गए हैं ऐसे में युवा चेहरों को आगे बढ़ाया जाएगा।
विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतर चुकी भाजपा ने ‘युवा उत्तराखंड युवा मुख्यमंत्री’ का नारा दिया है। ऐसे में माना जा रहा कि आगामी चुनाव में भाजपा नए चेहरों को तवज्जों दे सकती है, क्योंकि करीब दो दर्जन विधायक इस कसौटी पर खरे नहीं उतर रहे।
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतर चुकी भाजपा अपनी रणनीति में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती है। पार्टी ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को पूरी तरह मैदान में उतार दिया है तो टिकटों को लेकर भी माथापच्ची शुरू कर दी है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक पांच साल की परफार्मेंस के आधार पर विधायकों को कसौटी पर परखा जा रहा है। कसौटी पर खरा न उतरने वाले डेढ़ दर्जन विधायक पहले ही निशाने पर हैं।
बदली परिस्थितियों में अब जबकि भाजपा ने ‘युवा उत्तराखंड-युवा मुख्यमंत्री’ का नारा दिया है तो वह नए चेहरों को मौका दे सकती है। माना जा रहा कि इस दायरे में लगभग आधा दर्जन उम्रदराज विधायक आ सकते हैं। यानी, आगामी चुनाव में पार्टी नए व जिताऊ चेहरों पर दांव खेल सकती है।
उत्तराखंड में भाजपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 70 में 57 सीटें जीतकर इतिहास रचा था। अब पार्टी के सामने ऐसा ही प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है। साथ ही भाजपा उस मिथक को तोड़ने पर ध्यान केंद्रित किए हुए है, जिसके मुताबिक हर पांच साल में यहां सत्ताधारी दल बदल जाता है। दोबारा से जनता का विश्वास हासिल करने के हिसाब से पार्टी ने अपनी फील्डिंग सजाई है तो विधायकों के कामकाज पर भी वह पैनी निगाह बनाए हुए है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जब अगस्त में उत्तराखंड दौरे पर हरिद्वार आए थे, तब हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में भी विधायकों के कामकाज पर चर्चा हुई थी। तब डेढ़ दर्जन विधायकों के प्रदर्शन से पार्टी नेतृत्व संतुष्ट नहीं था। इनका आकलन विधानसभा क्षेत्र में मौजूदगी, जनता से संपर्क समेत अन्य बिंदुओं के आधार पर किया गया। पार्टी अब भी कई चरणों में सर्वे और विधानसभा क्षेत्रों से फीडबैक के आधार पर विधायकों के कामकाज पर नजर रखे हुए है।
बदली परिस्थितियों में सरकार में दूसरी बार हुए नेतृत्व परिवर्तन के बाद पार्टी ने ‘युवा उत्तराखंड-युवा मुख्यमंत्री’ का नारा दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जुलाई में कमान संभालने के बाद लगातार सक्रिय हैं। युवाओं को रोजगार दिलाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है। हाल ही में परिसंपत्तियों के बटवारे को लेकर वह कई प्रमुख मामलों का निस्तारण करा चुके हैं। इससे उनका कद भी बढ़ा है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि चुनाव के दृष्टिगत पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व सभी पहलुओं को ध्यान में रखता है। किसे टिकट देना है और किसे नहीं, यह निर्णय भाजपा का पार्लियामेंट्री बोर्ड करता है। भाजपा एक अनुशासित पार्टी है और जिसका टिकट तय होता है, सभी कार्यकर्ता उसकी जीत के लिए जुटते हैं।