*उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक की अनोखी पहल के चलते उत्तराखंड में खुला प्रदेश का पहला बाल मित्र थाना*

 

देहरादून : छोटी उम्र में अनजाने व परिस्थितियों वश अपराध में लिप्त हो जाने के चलते समाज की मुख्यधारा वंचित हो जाने वाले नाबालिक अपराधियों व बच्चों को सुधारने की मंशा व समाज की मुख्यधारा में वापिस लाने के लिए उत्तराखंड पुलिस व बाल संरक्षण आयोग द्वारा उत्तराखंड के हर जिले मे अपराध करने वाले नाबालिकों के लिए बाल मित्र थाना खोले जाने के इरादे को हकीकत का जामा पहनाते हुए आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा राजधानी देहरादून के थाना डालनवाला परिसर में प्रदेश का पहला बाल मित्र थाना का उद्धघाटन किया गया। कार्यक्रम में उद्धघाटन के दौरान छोटे बच्चों द्वारा मुख्यमंत्री को चित्र भेंट स्वरूप दिया गया।

 

उत्तराखंड पुलिस व प्रदेश बाल संरक्षण आयोग द्वारा तकरीबन एक वर्ष पूर्व व प्रदेश सरकार की प्रयासों से शुरू किए प्रदेश के पहले बाल मित्र थाने को जाने अनजाने में व गलत परिस्थितियों में अपराध में लिप्त हो चुके नाबालिक बच्चों को अपराध के चलते उनके भविष्य को हमेशा के लिए अंधेरे में न पड़ने देने व सुधरने का मौका देने के सकारात्मक सोच के चलते तैयार किया गया है जहां बाल संरक्षण आयोग द्वारा प्रदेश की विभिन सामाजिक संस्थाओं,सीडब्लूसी, चाइल्ड हेल्पलाइन व काउंसलिंग की मदद से उन बच्चों में सुधार कर उन्हें पुनः समाज की मुख्यधारा में जोड़ उनके जीवन को सही दिशा दी जाएगी। प्रदेश के इस पहले बाल मित्र थाने की कमान उपनिरीक्षक रश्मि परमार को सौपीं गयी है। इस थाने के आंतरिक रूप को पुलिस द्वारा घर जैसा माहौल में सृजित किया गया है जिससे बच्चों में यहां लाये जाने पर मूल थाने में प्रवेश किये जाने की भावना न आये।

 

उत्तराखंड पुलिस व प्रदेश बाल संरक्षण आयोग द्वारा प्रस्तावित इस थाने के लिए बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी के प्रयासों के चलते बाल संरक्षण आयोग द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में इस थाने को खोलने के लिए पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को 13 लाख रुपये की धनराशि सौपीं गयी है जिसमे से हर एक जिले को 1-1 लाख रुपये दिए जाना प्रस्तावित है।

 

इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा इस कदम के लिए उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक व बाल संरक्षण आयोग अध्यक्षा द्वारा प्रदेश के बच्चों व समाज के सज्जनों के सम्मुख पुलिस की ‘उनके सहायक’ के रूप में छवि बनाने की दिशा में सकारात्मक कदम है जिससे निश्चित तौर पर उत्तराखंड पुलिस बच्चों के संरक्षक की छवि में उभरेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से पहले वह स्वयं को एक समाज सुधारक मानते है जिसके चलते बतौर मुख्यमंत्री उनकी सरकार द्वारा प्रदेश के निराश्रित बच्चों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया है जिससे वह कोई सहायता न होने पर गलत दिशा में न जाये। उन्होंने बच्चों के संरक्षण में समाज को मुख्य रचयिता करार देते हुए समाज को बच्चों के संवेदनशीलता दिखाने का आग्रह किया है।

 

उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक द्वारा इस प्रकार के बाल थाने को एक मील का पत्थर बताते हुए अपने आपको सिस्टम का हिस्सा मान अपना हित देख सकेगा व समाज के मुख्य धारा में जुड़ कर सुनहरे भारत की समग्रता में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सकेगा।

वहीं बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी द्वारा प्रदेश में अनजाने में अपराध में लिय हुए नाबालिक बच्चों के इस थाने के लिए उत्तराखंड पुलिस व प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त किया गया व बाल संरक्षण आयोग द्वारा बच्चों से डील करने के दौरान पुलिस की सहायक भूमिका को सराहा व बाल मित्र थाने द्वारा बच्चों में सुरक्षा व स्वावलंभन की भावना लाये जाने की ओर कार्य करने में उनके द्वारा व पुलिस के द्वारा प्रयास किये जाने की बात कही।

 

इस दौरान कार्यक्रम में प्रथम नागरिक सुनील मेयर दून सुनील उनियाल’गामा’,राजपुर विधायक खजान दास, बाल आयोग सचिव हरिश्चंद सेमवाल,महिला आयोग अध्यक्ष विजया बर्थवाल, जिलाधिकारी देहरादून डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव,एसएसपी दून डॉ योगेंद्र सिंह रावत,वरिष्ठ नागरिक डॉ महेश भण्डारी आदि गणमान्य उपस्थित रहे।

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