आप जानिए क्यों महा शिवरात्रि पर्व मनाया जाता हैं देखिये तीन प्रमुख कारण….
देहरादून : हिन्दू कैलेंडर (Panchang) के अनुसार, फाल्गुन माह (Phalguna Month) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. बाकी अन्य माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. महाशिवरात्रि इस साल 01 मार्च को हैं . अब प्रश्न यह उठता है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है और इस दिन शिव पूजा (Shiva Puja) ही क्यों होती है? महाशिवरात्रि को भगवान शिव से जुड़ी 3 महत्वपूर्ण घटनाएं हुई थीं, इस वजह से इस दिन शिव पूजा को महत्व देते हैं. आइए जानते हैं महाशिवरात्रि से जुड़ी उन तीन घटनाओं के बारे में।
महाशिवरात्रि मनाने के 3 कारण
1. शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान सदाशिव सबसे पहले शिवलिंग स्वरुप में प्रकट हुए थे. माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग प्रकाट्य हुआ था. उस दिन फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी. इस वजह से हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव और शक्ति का महामिलन महाशिवरात्रि को हुआ था. भगवान शिव और शक्ति एक दूसरे से विवाह बंधन में बंधे थे. वैरागी शिव वैराग्य छोड़कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किए थे. इस वजह से कई स्थानों पर महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव बारात निकाली जाती है. इस दिन शिवभक्त शिव पार्वती का विवाह भी संपन्न कराते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव और माता पार्वती का विवाह कराने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं, दांपत्य जीवन खुशहाल होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही देशभर में द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे. ये 12 ज्योतिर्लिंग हैं: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं. इन 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के उत्सव के रुप में भी महाशिवरात्रि मनाई जाती है और भगवान शिव की पूजा की जाती है।