देश के राष्ट्पति को क्या-क्या मिलती हैं सुविधाए और कितनी मिलती हैं सैलरी, जानिए और क्या होते हैं अधिकार…..
दिल्ली: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होने के साथ, देश भर के सांसद और विधायक भारत के 15 वें राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए संसद भवन और राज्य विधानसभाओं में अपना वोट डाल चुके हैं. ऐसा कहा गया है कि एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को विपक्षी यशवंत सिन्हा पर बढ़त है क्योंकि क्षेत्रीय दलों के समर्थन के बाद उनका वोट शेयर लगभग दो-तिहाई तक पहुंचने की संभावना है।
यदि ऐसा होता है, तो वह शीर्ष संवैधानिक पद पर काबिज होने वाली आदिवासी समुदाय की पहली महिला बन जाएंगी. राष्ट्रपति का पद बहुत सारे भत्तों और विशेषाधिकारों के साथ आता है. आइए राष्ट्रपति की योग्यता, वेतन और उनके कार्यकाल के दौरान मिलने वाले भत्तों की लिस्ट पर एक नजर डालते हैं।
ये हैं भारत के राष्ट्रपति को मिलने वाली सुविधाएं-
राष्ट्रपति के पद पर करीब 5 लाख रुपये महीना सैलरी मिलती है.
फ्री मेडिकल, आवास और इलाज की सुविधा (पूरे जीवन) समेत अन्य भत्ता दिए जाते हैं।
भारत के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी दुनिया में कहीं भी मुफ्त में यात्रा कर सकते हैं।
राष्ट्रपति के पास पांच लोगों का सेक्रेटेरियल स्टाफ होता है. इसके अलावा 200 अन्य लोग राष्ट्रपति भवन की देखरेख में अपनी जिम्मेदारी संभालते हैं।
राष्ट्रपति के पास छुट्टियां बिताने के लिए दो शानदार हॉलीडे रिट्रीट भी होते हैं. जिनमें से एक हैदराबाद में राष्ट्रपति निलयम और दूसरा शिमला में स्थित रिट्रीट बिल्डिंग है. जहां वो अपने परिवार के साथ जा सकते हैं।
देश के राष्ट्रपति को कस्टमाइज्ड Mercedes Benz S600 (W221) गाड़ी मिलती है।
राष्ट्रपति के पास प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिपरिषद की सलाह पर युद्ध की घोषणा करने की पावर है।
सभी जरूरी संधियां और अनुबंध राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं।
राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास है. नई दिल्ली में स्थित, राष्ट्रपति भवन में 340 कमरे हैं और इसका फ्लोर एरिया 2,00,000 वर्ग फुट है।
ये भी मिलते हैं अधिकार-
वह अपने ऑफिस की पावर और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए या उन शक्तियों और कर्तव्यों के अभ्यास और प्रदर्शन में उनके द्वारा किए गए या किए जाने वाले किसी भी काम के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं है।
बशर्ते कि अनुच्छेद 61 के तहत आरोप की जांच के लिए संसद के किसी भी सदन द्वारा नियुक्त या नामित किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण या निकाय द्वारा उनके आचरण की समीक्षा की जा सकती है।
उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में उनके खिलाफ कोई भी आपराधिक कार्यवाही शुरू या जारी नहीं रखी जा सकती है।
उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत से गिरफ्तारी या कारावास की कोई प्रक्रिया जारी नहीं की जाएगी।