आज निर्वाचन आयोग की महत्वपूर्ण बैठक, क्या टल सकते हैं चुनाव…..

दिल्ली : उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व पंजाब समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों का इंतजार कुछ समय के लिए और बढ़ सकता है । असल में देश में कोरोना काल के ऐसे दौर में जब तीसरी तरह अपना प्रचंड रूप लेती नजर आ रही है ।इस बीच राज्यों में चुनाव करवाना चुनाव आयोग के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन गया है।

इतना ही नहीं गुरुवार सुबह चुनाव आयोग के अधिकारी नीति आयोग के अफसरों के साथ एक मंथन बैठक भी कर रहे हैं, जिसमें आने वाले दिनों की स्थिति का जायजा लेकर चुनावों की तारीखों को लेकर कोई राय बनाई जा सके। इस बीच नीति आयोग के सदस्य ने भी मौजूदा संकट के बीच बड़ी चुनावी रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध लगाने जाने की मांग चुनाव आयोग से की है ।

चुनाव आयोग ने पिछले दिनों अपने बयान में कहा था कि 5 जनवरी को वोटर लिस्ट जारी होने के बाद वह चुनावी की तारीखों का ऐलान करेंगे। उन्होंने कहा था यूपी में सभी सियासी दलों के नेताओं ने समय रहते चुनाव करवाने की मांग की है, ऐसे में चुनावों की तारीखों का ऐलान एक बार वोटर लिस्ट जारी होने के बाद किया जाएगा।

हालांकि कोरोना की मौजूदा स्थिति और तीसरी लहर के प्रचंड होने की सूरत में अब चुनाव आयोग पशोपेश की स्थिति में है । चुनाव आयोग ने गुरुवार सुबह नीति आयोग के अफसरों के साथ एक बैठक की है , जिसमें कोरोना की आगामी दिनों में स्थिति और उसके असर को लेकर मंथन बैठक जारी है।

इस सबके बीच खबर आई है कि नीति आयोग के सदस्य डॉ, वीके पॉल ने चुनाव आयोग से कहा है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए चुनावी राज्यों में बड़ी रैलियों और रोड शो पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए। यह सब कोरोना की स्थिति को और बुरी तरह से प्रभावित करेगा। इसलिए चुनाव आयोग अपना फैसला लेने के दौरान इन बातों का ध्यान जरूर रखे।

मौजूदा घटनाक्रम और स्थिति का जायजा लेने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव आयोग फरवरी और मार्च में कोरोना की तीसरी लहर के चरम पर होने की आशंका के चलते चुनावों की तारीखों को थोड़े समय के लिए टाल सकती है । सभी विशेषज्ञों ने इस बात की आशंका जताई है कि कोरोना की मौजूदा स्थिति में चुनावी रैलियों और सभाओं का आयोजन के साथ ही चुनाव करवाना लोगों की जान के साथ खिलवाड़ हो सकता है।

ऐसे में चुनावों को कुछ समय के लिए टाल देना चाहिए। हालांकि इस बार संक्रमण को काफी हल्का बताया जा रहा है, जिसके चलते चुनाव आयोग अपना फैसला लेने में खुद को पशोपेश की स्थिति में पा रहा है। यही कारण है कि वह लगातार बैठकें कर स्थित का जायजा लेने में जुटा है।

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