आइये जानते है वेद दीपक कुमार से “कोलेस्ट्राल का आयुर्वेदिक समाधान”…….

हरिद्वार: एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को गंदा माना जाता है। क्योंकि यही शरीर में असली परेशानी की जड़ है। इसका लेवल अधिक होने से आपको दिल के रोग, नसों के रोग, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसे गंभीर परिणाम देने वाले जानलेवा रोग हो सकते हैं।

कोलेस्ट्रॉल क्या है ?
यह एक वसा ( चर्बी ) जैसा या मोम जैसा पदार्थ है। जो शरीर में कोशिका झिल्ली कुछ हार्मोन और विटामिन डी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है
‘ एलडीएल कोलेस्ट्रॉल ‘ और ‘ एचडीएल कोलेस्ट्रॉल ‘ । एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को गंदा माना जाता है । क्योंकि यही शरीर में असली परेशानी की जड़ है। जबकि ‘ एचडीएल कोलेस्ट्रॉल ‘ अच्छा होता है और शरीर के कई कामकाज में सहायक है।

*कोलेस्ट्रॉल के लक्षण क्या हैं ?
ऐसा माना जाता है कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कोई पक्के लक्षण नहीं होते हैं। यही कारण है कि डॉक्टर हमेशा ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। हालांकि कुछ संकेत हैं , जिन लक्षणों से आप जान सकते हैं कि , आपके रक्त में गंदे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ गया है।

जानिए लक्षण
जी मिचलाना, सुन्न होना, अत्यधिक थकान, सीने में दर्द या एनजाइना, सांस लेने में कठिनाई, हाथ-पांव में सुन्नपन या ठंडक, हाई ब्लड प्रेशर।
पुरुषों को 45 से 65 और महिलाओं को , 55 से 64 की उम्र के बीच, प्रत्येक व्यक्ति को, एक से दो साल में ब्लड टेस्ट कराना चाहिए। यदि आप 65 वर्ष से अधिक आयु के हैं तो हर साल कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं।

आयुर्वेदिक समाधान
कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए, औषधि और व्यायाम के साथ, उचित आहार करना अत्यंत आवश्यक हैं। इस रोग से मुक्ति पाने के लिए लोग महंगे से महंगी चिकित्सा करवाने से परहेज नहीं करते है। हालांकि इन औषधीय से कुछ समय तक प्रभाव तो पड़ता ही है। लेकिन अगर इसी के स्थान पर आयुर्वेदिक प्रयोगों को अपनाया जाए तो ये अत्यधिक प्रभावशाली हो सकते है।

*1.* भूना हुआ जीरा – 50 ग्राम ।
*2.* मैथीदाना – 50 ग्राम ।
*3.* धनिया – 50 ग्राम ।
*4.* सौंफ – 50 ग्राम ।
*5.* काली मीर्च – 25 ग्राम ।
*6.* लेंडी पीपल – 25 ग्राम ।
*7.* सौंठ – 25 ग्राम ।
*8.* दालचीनी – 25 ग्राम ।

कोलस्ट्रोल (एल.डी.एल.) व वजन घटाने के लिए, उपरोक्त आठों चीजों को , कूट – पीसकर कर चूर्ण बनाकर छान लें। प्रतिदिन आधा चम्मच सुबह – शाम भोजन करने के एक घंटे बाद, एक कप गरम पानी में , घोल कर लें। यह अच्छा पाचक व विरेचक भी है।

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