आइये जानते है वैद दीपक कुमार से “गर्भवती महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए”………

हरिद्वार: वास्तविकता से देखा जाए तो महिलाओं को जीवन भर देखरेख करने की आवश्यकता होती है। वे शारीरिक रूप से पुरूषों के मुकाबले में कम होती है। और गर्भ अवस्था में उन्हें अपनी ओर और अपने आने वाले बच्चे का भी ध्यान रखना है। इन सभी बातों का ध्यान रखना है ।

महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
*1.* हररोज दिन की सुरूवात किसी भी मन पसंदीदा खाने से करना है। जैसे जाम, टोस्ट, बिस्कुट, आदि। और गर्भ अवस्था तकलीफ़ से बचने केलिए हम कुछ धार्मिक या मनचाही किताब पढ़ सकते हैं।

*2.* अपने आहार पर विशेष ध्यान देना है। दूध और इससे बनी हुई चीजें दही, पनीर , अंकुरित दाने और ताजे फल और सब्जियां , अंडे को अपने आहार में लेना है।

*3.* गर्भ अवस्था महिलाओं को मोबाइल का इस्तेमाल कम करना है। और मोबाइल का इस्तेमाल करते वक्त सीने से दूरी बनाए रखना है। रात को सोते वक्त मोबाइल फोन को अपने से दूर रखना है।

*4.* गर्भ अवस्था में महिलाओं को नाखूनों को बड़े नहीं रखना है, समय समय पर काटते रहना है। क्योंकि इससे इंस्पेक्शन बढ़ने की आसंका होती है।

*5.* ऊंची एड़ी की चप्पल , जूते गर्भ अवस्था में नहीं पहनना है। क्योंकि ऊंची एड़ी के उप्पल, जूते पहनने की वजह से सीघ्र थकान पैदा करते हैं, कभी कभी गर्भपात की भी संका होती है।

*6.* गर्भ अवस्था में महिलाओं को गरम पानी पीना है। और जैसे शराब, सिगरेट आदि का सेवन से बचना है।

*7.* महिलाओं को हमेशा करवट ले कर सोना है। इससे गर्भ अवस्थ शिशू को गर्भ में रहने में आसानी होगी।

*8.* गर्भ अवस्था महिलाओं को ज्यादा वजन दायक कोई भी वस्तु को नहीं उठाना है। इससे महिला को शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलेगी। एकदम हल्की चीजें उठाने की कोशिश करना है।

*9.* गर्भ अवस्था महिलाएं यात्रा पर जाए और ऑटो या रिकसा से बचे। पैदल यात्रा करना है, बस में सफर करना है।

*10.* गर्भ अवस्था महिलाओं को किसी के कहे अनुसार दवाईयां नहीं लेनी चाहिए। डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवाईयां लेनी है।

विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिला को दिन में 6 बार हैल्दी फूड्स का सेवन करना चाहिए।

मां बनना प्रकृति का अनूठा वरदान है। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को जहां हार्मोनल और शारीरिक बदलाव आने से खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है वहीं कइयों में आसानी से नौ महीने गुजर जाते हैं। आपके साथ कुछ परेशानी हो रही हो तो इन खास बातों को फोलो करें।

गर्भवती महिलाओं की आम समस्या है मितली यानि जी घबराना। गर्भावस्था के दौरान ब्रेन की सेंसेविटी बढ़ जाने से मितली होती है। इससे राहत का तरीका है-जागने के बाद फौरन बिस्तर नहीं छोड़ें, उठते ही पानी या जूस का सेवन ना करें। दिन की शुरूआत टोस्ट या बिस्किट से करें। दिन पर हायड्रेंट रहे। दिन में छह बार थोड़ा-थोड़ा खाएं।

*11. हरी सब्जियां और नट्स लें।
गर्भवती महिला से अकसर कहा जाता है ज्यादा खाओ, तुम्हें दो प्राणियों का पेट भरना है। यह भ्रम है। एक सामान्य महिला को प्रतिदिन 1800-2000 कैलोरीज चाहिए। गर्भवती महिला को इसके अतिरिक्त मात्र 300 कैलोरीज चाहिए। इससे ज्यादा कैलोरीज का सेवन करेगी तो वजन बढ़ेगा। रक्तचाप या हायपरटेंशन, गर्भावस्था में डायबिटीज, (जेस्टेशनली डायबिटीज) का खतरा बढ़ जाएगा, डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन (सर्जरी) जरूरी हो जाएगा।

*12.* विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवती महिला को दिन में 6 बार हैल्दी फूड्स (फल, हरी सब्जी, नट्स या अंडे) का सेवन करना चाहिए। मीठा खाने की शौकीन महिलाओं को गर्भावस्था में मिठाई से बचना चाहिए। ऎसा करके वे गर्भ में डायबिटीज (जेस्टेशनल डायबिटीज) व इससे जुड़ी अन्य समस्याओं से बचेंगी।

*13. हल्की एक्सरसाइज करें।
पीठदर्द भी गर्भवती महिला की आम शिकायत है। गर्भस्थ शिशु के दबाव के कारण पीठदर्द होता है। यदि बैठने या चलने का पोस्चर उपयुक्त ना हो तो यह दर्द बढ़ जाता है। प्रसव नजदीक आने पर तो असहनीय हो जाता है। इससे राहत के लिए अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर बैठें, खड़े रहे या चले। हल्की एक्सरसाइज अवश्य करें। दोनों पैर के बीच तकिया फंसाकर सोएं, ताकि बेक को सपोर्ट मिले। ऊंची ऎड़ी के फूटवियर्स ना पहनें।

*14. गर्भकाल में आंतों का मूवमेंट्स धीमा हो जाता है।
इन दिनों आयरन का सेवन करने से भी कब्जी होती है। इससे राहत के लिए फाइबरयुक्त फूड्स का सेवन करें। चिकित्सक के परामर्श के बिना कब्ज निवारक औषधि ना लें। धीमे चलें, पर खूब चलें। हल्की करसत करें। कम खाएं, बार-बार खाएं। मसालेदार, तले फूड्स से बचें।

*15. खुद न बनें डॉक्टर।
गर्भवती महिला को किसी भी हाल में चिकित्सक के परामर्श के बिना दवा का सेवन नहीं करना चाहिए। अपनी मर्जी या समझ से दवा का सेवन या अत्यधिक ब्यूटी ट्रीटमेंट बच्चों की ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है, शिशु असामान्य हो सकता है। प्रसव कष्टप्रद हो सकता है। यही नहीं, यदि चिकित्सक के परामर्श से ली गई आयरन या विटामिन दवा से सिरदर्द या एसिडिटी जैसी समस्या हो तो तत्काल चिकित्सक से मिलें। प्रसव किसी अस्पताल में होना है तो गर्भवती महिला को अस्पताल व डॉक्टर को लेकर आश्वस्त होना चाहिए। आप हिप्नोबर्थ (सम्मोहन की मदद से शिशु जन्म) या वाटर बर्थ चाहती हैं तो अपनी इच्छा जाहिर करें और पूरी भी करें।

*16. पर्याप्त नींद जरूरी।
गर्भावस्था के दौरान सुपर वुमन ना बनें। इस समय शरीर में हार्मोनल व शारीरिक परिवर्तन होते हैं, जो आराम की मांग करते हैं। गर्भवती महिला को सामान्य से ज्यादा नींद लेना चाहिए व सामान्य एक्सरसाइज भी करें, जो प्रसव को आसान बनाएगी। प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को बार्यी बरवट से लेटना चाहिए। इससे बच्चे का विकास होता है और उसका ब्लड सर्कुलेशन भी सामान्य बना रहता है।

*17. तनाव से भी बचें।
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से नियमित जांचें अवश्य कराएं और उनके निर्देशानुसार दवाएं भी लें। इस दौरान खुश रहें और किसी भई प्रकार की तनाव न लें। मूड बदलने के लिए आप अच्छी किताबें या पत्रिकाएं पढ़ सकती हैं। इस दौरान यदि हाथ और पैरों में सूजन या कमरदर्द की समस्या हो तो फौरन विशेषज्ञ को दिखाएं।

*18. तीन वाइट फूड्स से परहेज करें।
गर्भवती महिला को तीन व्हाइट फूड्स का संतुलित सेवन करना चाहिए। इनमें सबसे पहले है चीनी। ज्यादा चीनी के सेवन से गर्भ में डायबिटीज की समस्या हो सकती है। बच्चों का फेसियल विकास असामान्य हो सकता है। न्यूरल ट्यूब में डिफेक्ट्स का भी खतरा है। मां व गर्भस्थ शिशु के लिए नमक से मिलने वाला सोडियम जरूरी है, पर नमक के ज्यादा सेवन से शिशु की किडनी का विकास गड़बड़ा सकता है। सोडियम की कमी भी खतरा है, अत: गर्भावस्था में नमक का संतुलित सेवन ही करना चाहिए। दूध से कैल्शियम मिलता है, लेकिन अनपॉश्चुराइज्ड दूध का सेवन ना करें। इसमें मौजूद बैक्टीरिया इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं, जो गर्भस्थ शिशु के लिए खतरनाक है। इन्फे क्शन के कारण बच्चे विकास गड़बड़ा सकता है।

*19. ब्रेस्ट फीडिंग के कई लाभ।
डिलीवरी के बाद स्तनपान बेहद फायदेमंद है, यह हम सब जानते हैं और मानते हैं कि जन्म के बाद 6 से 8 माह तक जिन बच्चों को मां का दूध मिलता है, वे सामान्यत: स्वस्थ रहते हैं। इस शोध में एक नई जानकारी जुड़ी है कि जिन बच्चों को लंबे समय तक मां का दूध मिलता है, वे ज्यादा बुद्धिमान होते हैं। यही नहीं, शिशु को स्तनपान क रवाना मां के लिए भी फायदेमंद है। शिशु जन्म के बाद गर्भाशय से होने वाले रक्तस्त्राव को स्तनपान घटाता है। भारतीय मांओं में आयरन की कमी आम शिकायत है। इसका एक कारण है मासिक धर्म के समय रक्तस्त्राव के साथ आयरन की भी निकासी। स्तनपान करवाने वाली महिलाओं का मासिक धर्म विलंबित होता है, इससे उनके शरीर में आयरन की कमी नहीं होती।

कुछ इस प्रकार गर्भवती महिलाओं को इन सारी बातों का ध्यान रखना चाहिए। और अपना ध्यान रखना चाहिए।

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