*कलौंजी को खाने से किितने है फायदे जाने
कलौंजी भारतीय रसोई का अहम मसाला है। हालांकि इसे प्याज के बीज कहा जाता है, लेकिन इसका प्याज से सीधा कोई संबंध नहीं होता। कलौंजी रनुनकुलेसी परिवार का पौधा है। इसे मंगरैल के नाम से भी जाना जाता है। इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों जैसे दालों, सब्जियों, नान, ब्रेड, केक और आचार आदि में किया जाता है
व्यंजनों की विस्तृत विविधता में कलौंजी की खुशबू और स्वाद काआनंद लिया जा सकता है। अपनी खुशबू के अलावा कलौंजी रोगों के इलाज में भी उपयोगी मानी जाती है। आयुर्वेद में भी इसके उपयोग का विवरण मिलता है।
*कलौंजी में मौजूद पोषक तत्व*
कलौंजी में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हेल्थी फैट जैसे पोषक तत्व होते है। साथ ही इसमेंआवश्यक वसीय अम्ल ओमेगा-6 (लिनोलिक अम्ल), ओमेगा-3 (एल्फा- लिनोलेनिक अम्ल) और ओमेगा-9 (मूफा) भी होते हैं। इसके अलावा निजेलोन में एंटी-हिस्टेमीन गुणश्वास नली की मांसपेशियों को ढीला कर प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत और खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि को ठीक करती है। कलौंजी में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है।
*अस्थमा*
अस्थमा श्वास नलिकाओं को प्रभावित करने वाली गंभीर बीमारी है। श्वास नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करतीहैं।अस्थमा होने पर सूजन आने से ये नलिकाये बेहद संवेदनशील हो जाती हैं। और इसीसंवदेन शीलता के कारण यह किसी भी परेशान करने वाली चीज के संपर्क में आने पर तीखी प्रतिक्रिया करता है। नलिकाओं के प्रतिक्रिया करने परउनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में फेफड़े में हवा कम होजाती है। इससे खांसी, नाक से आवाज, छाती कड़ी होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं।
*अस्थमा के लिए कलौंजी*
अस्थमा की रोक थाम के लिए कई दवायें मौजूद हैं। हालांकि इन दवाओं के कई साइड इफेक्ट भी होतेहैं। अगर आप प्रभावी रूप से प्राकृतिक रूप से विभिन्न अस्थमा की समस्याओं से राहत पाना चाहते हैं तो कलौंजी जैसे अद्वितीय विकल्प को चुना जा सकता है।
*क्या कहते हैं शोध*
हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, कलौंजी में मौजूद आवश्यक घटक, थाइमोक्विनोन में अस्थमा के लक्षणों पर काबू पाने की शक्ति होती है। शोधकर्ताओं ने शुरू में जानवरों पर किये अध्ययन से इन आशावादी परिणामों को पता चला। इसके अलावा मनुष्यों पर हुए अनुसंधान से भी इस बात की पुष्टि हुए कि कलौंजी में अस्थमा के लक्षणों को कम करने की चिकित्सीय शक्ति है। शोधकताओं ने पाया कि यह बीज में अस्थमा रोगियों के फेफड़ों को अंदर से मजबूत बनाकर सूजन के खिलाफ लड़ने में मदद करता है और इस तरह की समस्याओं के खिलाफ राहत प्रदान करता है।
*थाइमोक्विनोन और निजेलोन नामक तत्व की मौजूदगी*
कलौंजी में थाइमोक्विनोन और निजेलोन नामक उड़नशील तेल श्वेतरक्त कणों में शोथ कारक आइकोसेनोयड्स के निर्माण में अवरोध पैदा कर, सूजन कम करने और दर्द निवारण करते हैं। कलौंजी में विद्यमान निजेलोन मास्टर कोशिकाओं में हिस्टेमीन का स्राव कम करती है, श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला कर दमा के रोगी को राहत देती हैं।
*श्वास संबंधी अन्य रोग में भी सहायक*
कलौंजी अस्थमा रोगों में सूजन को दूर करती है। अस्थमा के अलावा, कलौंजी अन्य संबंधित समस्याओं जैसे साइनसाइटिस, स्ट्रेस ब्रीथिंग और छाती पर दबाव आदि के इलाज में भी प्रभावीहोती है।i
*कलौंजी के उपयोग के उपाय*
कलौंजी को इस्तेमाल करने के लिए आप इसके बीज को कुचलकर पानी या दूध के साथ मिक्स करके इस्तेमाल करें।
आप अस्थमा के लक्षणों से राहत पाने के लिए शहद के साथ भी कलौंजी के बीज के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा, आप कलौंजी के बीज का छिड़काव व्यंजनों की विस्तृत विविधता जैसे दाल, सब्जियों और इसके स्वास्थ्य लाभ उठाने के लिए आप इसका इस्तेमाल चपाती पर भी कर सकते हैं।