आंखिर क्यों ये धर्मनगरी 25 साधुओं के लिए बन गई हत्यानगरी, पढ़िए वजह…

साधु-संतों की नगरी मानी जाने वाली तीर्थ नगरी हरिद्वार अब हत्यानगरी बनते जा रही है यहां लोग अखाड़े आश्रम और गंगा घाट में शांति तलाश में आते हैं लेकिन संतों के इन अखाड़े आश्रमों में संपत्तियों को लेकर साधुओं में मारकाट मची रहती है।

अखाड़े और आश्रमों की करोड़ों रुपए की भू संपदा के कारण इन अखाड़े आश्रमों में भू माफियाओं की नजर रहती है साधु संतों में भी अखाड़ों आश्रमों की करोड़ों रुपए की संपत्ति को लेकर आपस में झगड़ा होता रहता है। जो झगड़ा खूनी संघर्ष में बदल जाता है और कोई साधुओं को भू संपदा के कारण अपनी जान तक मांगी पड़ी 25 सालों में अब तक जिन साधुओं की भू संपदा को लेकर हत्या हुई उनमें प्रमुख घटनाएं ये है-

25 अक्टूबर 1991-रामायण सत्संग भवन के संत राघवाचार्य आश्रम से निकलकर टहल रहे थे। स्कूटर सवार लोगों ने उन्हें घेर लिया, पहले गोली मारी उसके बाद चाकू से गोद दिया। 9 दिसंबर 1993 रामायण सत्संग भवन के स्वामी राघवाचार्य के साथी रंगाचार्य की ज्वालापुर में हत्या कर दी गई। 1 फरवरी 2000-सुखी नदी स्थित मोक्ष धाम की करोड़ों की संपत्ति के विवाद में 1 फरवरी 2000 को ट्रस्ट के सदस्य गिरीश चंद अपने साथी रमेश के साथ अदालत जा रहे थे पीछे से एक जीप ने टक्कर मारी और रमेश मारे गए। पुलिस ने स्वामी नागेंद्र ब्रह्मचारी को सूत्रधार मानते हुए जेल भेजा था।

12 दिसंबर 2000 -चेतन दास कुटिया में अमेरिकी साध्वी प्रेमानंद की लूटपाट कर हत्या कर दी गई। कुछ स्थानीय लोग पकड़े गए थे। 5 अप्रैल 2001-बाबा सुतेंद्र बंगाली की हत्या। 16 जून 2001 -को हर की पैड़ी के सामने टापू में बाबा विष्णु गिरी समेत चार साधुओं की हत्या और उसी दिन ही एक अन्य बाबा की हत्या कर दी गई। वहीं 14 अप्रैल 2012-महानिर्वाणी अखाड़े के युवा संत सुधीर गिरी की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *