उत्तराखंड में डीसीबी बैंक के आए होश ठिकाने, ब्रांच सील होने के बाद विधवा महिला का होम लोन किया शून्य…….

देहरादून: ऋण देने के बाद निजी बैंक उसकी वसूली के लिए किस तरह खून चूसने पर आमादा हो जाते हैं, दून की चंद्रबनी निवासी विधवा महिला शिवानी गुप्ता का केस इस बात का जीता जागता उदाहरण है। सरकारी मशीनरी और रेगुलेटरी अथॉरिटी के नाकारेपन के कारण तमाम निजी वित्तीय संस्थाएं निरंतर रक्त पिपासू बनी रहती हैं। हालांकि, इसी मशीनरी में जिलाधिकारी सविन बंसल जैसे अफसर भी मौजूद हैं, जो खून चूसने वाले बैंकों और एनबीएफसी पर नकेल डाल रहे हैं।

शिवानी गुप्ता के मामले में भी जिलाधिकारी बंसल न सिर्फ जनता के सच्चे रक्षक साबित हुए, बल्कि विधवा महिला शिवानी का मानसिक और आर्थिक शोषण करने वाले डीसीबी बैंक की राजपुर रोड स्थित शाखा को सील कर उसकी संपत्ति को कुर्क करने का आदेश जारी कर दिया।

जिलाधिकारी के आक्रामक रुख के बाद डीसीबी बैंक प्रबंधन घुटनों पर आ गया। अधिकारी दौड़े-दौड़े महिला के पास पहुंचे और उनके ऋण को शून्य कर दिया। साथ ही महिला को नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया। बैंक ने यह भी आश्वासन दिया कि एक सप्ताह के भीतर उनके घर के कागज भी सौंप दिए जाएंगे। अब तक महिला पर गुर्राने वाला बैंक जिलाधिकारी के आगे मिमियाने वाली स्थिति में है।

बैंक प्रबंधन ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई है कि अब उनकी शाखा को खोल दिया जाए। बैंक का यह रुख तब सामने आ रहा है, जब जिलाधिकारी सविन बंसल ने निजी बैंक प्रबंधन को प्रशासन की ताकत दिखाई और बताया कि आम जन के अधिकारों की रक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। लेकिन, इससे पहले बैंक ने जो किया, वह निजी बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर की संवेदनहीनता की कहानी बयां करता है।

डीसीबी बैंक की ओर से ऋण शून्य करने और नो ड्यूज सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद जारी किया गया पत्र।
दरअसल, चंद्रबनी निवासी शिवानी गुप्ता ने जिलाधिकारी सविन बंसल की जनसुनवाई के फरियाद दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा था कि उनके पति रोहित गुप्ता की मृत्यु वर्ष 2024 में हो चुकी है। पति ने भवन निर्माण के लिए डीसीबी से 15.5 लाख रुपए का ऋण लिया था। हालांकि, आइसीआइसीआइ लोंबार्ड से इस ऋण का बीमा करवाया गया था। तय शर्तों के मुताबिक रोहित की मृत्यु के बाद ऋण का भुगतान शून्य कर उसकी प्रतिपूर्ति बीमा राशि से की जाएगी।

इसके बाद भी बैंक ने बीमा राशि का सेटेलमेंट नहीं कराया और बकाया ऋण की किश्त अदा करने का दबाव बनाए जाने लगा। पूर्व में की गई जनसुनवाई में जिलाधिकारी सविन बंसल ने बैंक को ऋण के सापेक्ष बीमा राशि का भुगतान करने को कहा था। वर्तमान में इस राशि की गणना 17 लाख 05 हजार रुपए की गई।

पीड़ित महिला शिवानी ने जब जिलाधिकारी को अवगत कराया कि बैंक आदेश का पालन नहीं कर रहा है तो जिलाधिकारी डीसीबी की आरसी काटते हुए उसे बैंक पर चस्पा करा दिया गया था। साथ ही चेताया था कि यदि बकाया राशि का भुगतान 16 जून तक नहीं किया गया तो प्रशासन अपने हिसाब से वसूली की प्रक्रिया शुरू कर देगा।

इसी क्रम में बुधवार को नायब तहसीलदार जितेंद्र सिंह, संग्रह अमीन दीपक भंडारी समेत राजस्व विभाग के अन्य कार्मिकों ने पहले बैंक की चल संपत्ति कुर्क की और फिर शाखा को शाखा प्रबंधक और अन्य कार्मिकों की उपस्थिति में 18 जून को सील कर था। तय किया गया था कि यदि अब भी पीड़ित महिला को बीमा राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो बैंक की संपत्ति को नीलाम कराकर भरपाई की जाएगी। हालांकि, इसकी नौबत आने से पहले ही बैंक प्रबंधन बैकफुट पर आ गया।

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