उत्तराखंड में 24 लाख से अधिक का नहीं बेच पाएंगे एलएमआईजी फ्लैट, आवास नियमावली की अधिसूचना जारी…….

देहरादून: साल के 12 लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्तियों को उनके सपनों का घर देने की राह आसान बनाने के लिए प्रदेश की धामी सरकार उत्तराखंड आवास नीति 2025 लेकर आई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में इस नियमावली को स्वीकृति प्रदान की गई थी। अब इसकी विधिवत अधिसूचना जारी कर दी गई है। नियमावली के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने के नाम पर निजी बिल्डर फ्लैट खरीदारों से मनमाना दाम नहीं वसूल पाएंगे। इसके लिए सरकार ने ईडब्ल्यूएस से लेकर एलएमआईजी तक के फ्लैट की बिक्री के अधिकतम दाम तय कर दिए हैं। फ्लैट की जगह प्लॉट खरीदने की दशा में भी अधिकतम दर तय की गई है।

उत्तराखंड आवास नियमावली 2025 के अनुसार यदि कोई निजी बिल्डर ईडब्ल्यूएस (दुर्बल आय वर्ग) के फ्लैट बेचता है तो उसकी कीमत किसी भी दशा में 09 लाख रुपये या कारपेट एरिया 30 हजार प्रति वर्गमीटर से अधिक नहीं होगा। एलआईजी (निम्न आय वर्ग) के आवास में अधिकतम कीमत 15 लाख रुपये या कारपेट एरिया 33 हजार प्रति वर्गमीटर रहेगा। इसी तरह एलएमआईजी (निम्न मध्यम वर्ग) के फ्लैट के दाम अधिकतम 24 लाख रुपये या 40 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर से अधिक नहीं होंगे।

आवासीय भूखंड के दाम सर्किल रेट से 1.6 गुना तक सीमित रहेंगे
ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एलएमआईजी आवासों के भूखंड के दाम भी मनमाने ढंग से नहीं बढ़ाए जा सकेंगे। उत्तराखंड आवास नियमावली 2025 में तय किया गया है कि तीनों श्रेणी के भूखंडों के लिए प्रचलित सर्किल रेट से 1.6 गुना से अधिक की कीमत वसूल नहीं की जाएगी।

इस तरह तय होगा कौन सा आवास किस श्रेणी का
आय वर्ग के हिसाब से आवास की श्रेणी तय करने में किसी तरह की परेशानी या घालमेल न किया जा सके, इसके लिए ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और एलएमआईजी श्रेणी में भूखंड क्षेत्रफल और फर्श क्षेत्रफल की गणना वर्गमीटर में अलग-अलग की गई है। साथ ही यह भी साफ किया गया है कि सामान्य श्रेणी का आवास किस क्षेत्रफल से ऊपर माना जाएगा।

आयवार न्यूनतम आवास निर्माण की अनिवार्यता की शर्त लागू, बाकी के दाम स्वयं तय करेंगे बिल्डर
आवास नियामवली के अंतर्गत आय वर्ग के हिसाब से आवासीय निर्माण की न्यूनतम संख्या भी तय की गई है। इसके बाद भी यदि आवासीय इकाइयां अन्य श्रेणी में हैं तो उसके अधिकतम मूल्य के लिए कोई शर्त लागू नहीं होगी। दायरे से बाहर की इकाइयों के दाम बिल्डर स्वयं तय कर सकेंगे।

साल के 05 लाख कमाने वाले भी ले सकेंगे ईडब्ल्यूएस आवास का लाभ
जिन व्यक्तियों की आय सालाना 05 लाख रुपये तक है, वह भी ईडब्ल्यूएस योजना और उसके तहत मिलने वाली छूट का लाभ उठा सकेंगे। नियमावली से पहले आय की यह सीमा सालाना 03 लाख रुपये थी। इसके साथ ही आवास की श्रेणी के हिसाब से विभिन्न तरह की छूट भी प्रदान की जाएगी।

उत्तराखंड आवास नियमावली 2025 में यह भी मिलेगा लाभ
-लाभार्थियों को सुविधा प्रदान करते हुए ईडब्ल्यूएस, एलआईजी तथा एलएमआईजी हेतु बुकिंग धनराशि मात्र रु.1000.00, रु. 2000.00 तथा रू. 5,000.00 रखी गयी है।
-ईडब्ल्यूएस हेतु स्टाम्प छूट प्रदान करते हुए मात्र रु. 1000.00, एलआईजी हेतु मात्र रू. 5000.00 तथा एलएमआईजी वर्ग हेतु 10,000 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार पंजीकरण शुल्क ईडब्ल्यूएस, एलआईजी तथा एलएमआईजी हेतु क्रमश रु. 500.00, रु.1,000.00 तथा रु. 1500.00 निर्धारित किया गया है।

-बैंको से गृह ऋण लेने में अनुबन्ध में स्टाम्प शुल्क की छूट प्रदान की गयी है।
-पर्वतीय क्षेत्रों में कम ऊँचाई वाले आवासीय भवनों को प्रोत्साहन देने हेतु स्थानीय बाखली शैली को प्रोत्साहित किया गया है तथा इस श्रेणी के आवासों में अनुदान रु.03.00 लाख प्रति आवास लाभार्थी को दिया जायेगा।
-बाखली शैली के आवासीय भवनों के निर्माण हेतु भवन उपविधि में छूट की व्यवस्था की गई है।

-किफायती आवास को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य में प्रथम बार आवासीय परियोजनाओं को औद्योगिक परियोजनाओं की भांति नीतिगत एवं वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था की गयी है।
-भू-उपयोग परिवर्तन को सरलीकृत किया गया है।
-मानचित्र स्वीकृति शुल्क में छूट प्रदान की गयी है।
-परियोजना हेतु भूमि क्रय किये जाने के लिए स्टाम्प शुल्क में भी विकासकों को छूट की व्यवस्था की गयी है।
-STP निर्माण हेतु STP के सफल संचालन उपरान्त प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की गयी है।

-परियोजनाओं में Commercial FAR मैदानी हेतु अधिकतम 25 प्रतिशत तथा पर्वतीय हेतु 30 प्रतिशत की व्यवस्था की गयी है।
-SGST की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की गई है।
-परियोजना हेतु बैंको से लिए गए ऋण पर ब्याज की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था की गयी है।
-किफायती आवास श्रेणी में G+3 के प्रतिबन्ध को हटाते हुए लिपट की व्यवस्था के साथ अनुमन्य ऊंचाई तक अर्पाटमेन्ट का निर्माण किया जा सकेगा।

-औद्योगिक विकास विभाग की Mega Industrial Policy के अनुरूप ही परियोजनाओं की लागत क्षेत्रफल के आधार पर वगीकृत करते हुए परियोजनाओं को Mega, Ultra Mega तथा Super Ultra Mega श्रेणी में विभक्त करते हुए इसके सापेक्ष नीतिगत एवं वित्तीय प्रोत्साहन की व्यवस्था की गई है।
-उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद द्वारा राज्यान्तर्गत विभिन्न नगरीय क्षेत्रों/प्राधिकरण क्षेत्रों में आगामी 10 वर्षों में आवासीय मार्ग के आकलन हेतु डिमांड सर्वेक्षण कराया जा रहा है। फर्म का चयन कर लिया गया है और शीघ्र ही कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

सीएम धामी की इस टीम ने किए प्रयास
उत्तराखंड में सभी वर्गों को विशेष रूप से दुर्बल आय, निम्न आय एवं निम्न मध्यम आय वर्ग में व्यक्तियों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराए जाने के उद्देश्य से उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है। मुख्य प्रशासक, उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण/प्रमुख सचिव, आवास, आर मीनाक्षी सुंदरम के निर्देशन में प्रकाश चन्द्र दुम्का, अपर आवास आयुक्त, उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद/संयुक्त मुख्य प्रशासक, उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण और प्राधिकरण की कुशल टीम ने उत्तराखंड आवास नियमावली 2025 तैयार की। जिसे शासन स्तर पर न्याय, वित्त इत्यादि अन्य विभागों के परामर्श के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आहूत कैबिनेट में आवास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विशेष प्रयासों से स्वीकृति प्रदान की गई।

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