उत्तराखंड प्रदेश में 26 जनवरी से समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारीयां लगभग हुई पूरी। 20 जनवरी को बुलाई गई कैबिनेट की बैठक……

देहरादून: उत्तराखंड प्रदेश में 26 जनवरी से समान नागरिक संहिता को लागू करने की तैयारीयां लगभग हुई पूरी। 20 जनवरी को बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में इस नियमावली पर लगेगी मुहर।

आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड राज्य देश का पहला राज्य बन जाएगा।

26 जनवरी से राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है. ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा. बता दें कि इससे पहले, नियम और कार्यान्वयन समिति की सलाह के बाद सरकार ने कुछ बदलावों को समीक्षा के लिए विधायी विभाग को भेजा था।

समीक्षा किए गए नियमों को विभाग द्वारा अप्रूव किया गया है. समीक्षा किए गए नियमों को कल धामी कैबिनेट द्वारा पारित किए जाने की संभावना है।

वहीं, इस कानून को लेकर कर्मचारियों के लिए ब्लॉक-स्तरीय प्रशिक्षण सत्र चलाया जा रहा है, जिसके 22 जनवरी तक पूरा होने की उम्मीद है. बता दें कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि जनवरी से उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी. सीएम धामी ने कहा कि राज्य सरकार ने अपना ‘होमवर्क’ पूरा कर लिया है और जनवरी 2025 से पूरे राज्य में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी।

क्या होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड ?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना. अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होगा. संविधान के चौथे भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्व का विस्तृत ब्यौरा है जिसके अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है।

यूसीसी लागू करने वाला गोवा एक मात्र राज्य।
भारतीय संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है. साथ ही संसद ने कानून बनाकर गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार दिया था. इसलिए गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सिविल लोड लागू है और यह बिल पेश होने के बाद उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां आजादी के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होगा।

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