उत्तराखंड में हर कोई कह रहा है इस सरकार में चल तो सुबोध उनियाल की ही रही है ,यानि इन दिनों ना खाता ना बही जो कहे वो ही सही…..
देहरादून : उत्तराखंड में हर सरकार में अलग अलग पॉवर सेंटर दिखाई देते है पाँच साल की इस बीजेपी सरकार में शुरू के 4 साल तत्कालीन प्रधानमंत्री सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किसी की चलने नहीं दी और मंत्रियों में एक किस्म से लगाम लगा कर रखी ना वो कोई फैसला ले पाते और ना ही अपने विभागों में ट्रांसफर कर पाते बस मंत्री मन मसोसकर राह जाते थे हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार में मंत्री धन सिंह रावत और पूर्व मंत्री और अब बीजेपी अध्यक्ष मदन मोहन कौशिक की सुन ली जाती थी मदन क्योंकि सरकारी प्रवक्ता थे इसलिए सरकार के फैसलों में उनकी दखल थी लेकिन फैसले ज्यादातर त्रिवेंद्र सिंह रावत के ही रहते थे वहीं जिस सरकार में मंत्री हरक सिंह रावत पूरे 4 साल चुप रहे हो उससे आप जान सकते है कैसे कंट्रोल रूम हो रही थी सरकार और कैसे मंत्री बस नाम के रह गए थे।
लेकिन तीरथ सिंह रावत सरकार में इसके उलट मंत्रियों को काम करने की आजादी मिल गई है हरक सिंह रावत भी खुश है अब उन्हें किसी अधिकारी से परेशानी भी नहीं है जिनसे थी उन्हें उन्होंने पहले झटके में ही बाहर करवा दिया वही इन दिनों मंत्री सुबोध उनियाल की जबरदस्त चल रही है , प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू कब लगेगा कितना लगेगा , छूट दी मिलेगी या नही या फिर सब बंद रहेगा ये सब सुबोध उनियाल ही तय करते हैं
हालांकि पूर्व में ये तमाम काम खुद को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने कंधों में लिए हुए थे , अब कोरोना कर्फ्यू के नए फैसले और नई guideline भी आ गई हैं व्यापारी भी नाराज है और वो सरकार के मंत्री सुबोध उनियाल को कोस रहे है ये उनकी विज्ञप्तियों में साफ झलकता है कि नाराजगी सरकार को लेकर कम मंत्री को लेकर ज्यादा है व्यापारियों में क्योंकि सुबोध उनियाल कह चुके है कि वो किसी के दबाव में आने वाले नहीं हैं
वही त्रिवेंद्र सरकार में पावरफुल मंत्री रहे प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की भी नहीं सुनी गई हाल में मदन कौशिक व्यापारियों के बाजार खोलने की मांग को लेकर सीएम से मिल आये थे माना जा रहा था कि प्रदेश अध्यक्ष की की पैरवी से व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
बाजारों को खोलने की बेहद आंशिक अनुमति मिली उसमे राशन की दुकानें 2 दिन , बाकी दुकाने 1 दिन और शराब की दुकानें 3 दिन खोलने के आदेश हुए इससे साफ हो जाता है मदन की पैरवी काम नही आई इन तमाम बातों से लब्बोलुआब यही निकलता है कि सुबोध उनियाल सीएम तीरथ के बाद सरकार के पॉवर सेंटर बन गए है और ऐसी स्थिति सुबोध उनियाल की ND तिवारी की सरकार में पर्यटन सलाहकार रहते हुए चलती थी या फिर विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री रहते हुए सुबोध उनियाल की मंत्री ना रहते हुए भी सुपर सीएम वाली छवि को थी , और सुबोध उनियाल की आजकल जितनी चल रही है उसके बाद हरीश रावत एक जुमला कहा करते थे ना खाता ना बही जो अब सुबोध उनियाल कहें वो ही सही।