उत्तराखंड में रावत की आम पार्टी में दूसरे रावत का जाना ,कांग्रेस के तीसरे रावत और चौथे रावत नाराज, जानें क्यों सुर्खियों में आम की दावत, आया वीडियो सामने फिर फेसबुक पोस्ट…..
देहरादून: भाजपा के एक रावत की दावत में कांग्रेस के दूसरे रावत के जाने से तीसरे रावत नाराज हो गए। दरअसल, यह मामला हरिद्वार के सांसद व पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की आम की दावत का है। इस दावत में शामिल होने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत त्रिवेंद्र के घर पहुंचे। इधर, हरीश ने त्रिवेंद्र के घर में आम का स्वाद चखा, उधर कांग्रेसी दिग्गजों के दांत खट्टे हो गए।
हरीश रावत और त्रिवेंद्र की जुगलबंदी कोई नई नहीं है। जब त्रिवेंद्र सीएम थे, तब हरीश रावत की आम, काफल और माल्टा पार्टी में तत्कालीन मुख्यमंत्री को भी निमंत्रण दिया जाता था। त्रिवेंद्र भी हरीश की इन दावतों में शामिल होते थे। तब रावतों की ये दावतें सियासी सुर्खियां बंटोरती थीं।
बृहस्पतिवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरीश के अंदाज में आम पार्टी का आयोजन किया। डिफेंस कालोनी स्थित अपने आवास पर आम पार्टी में शामिल होने के लिए त्रिवेंद्र पड़ोसी बन चुके हरीश रावत को निमंत्रण देना नहीं भूले। हरीश रावत उनकी इस दावत में पहुंचे। आम खाने और खिलाने वाली तस्वीरें अगले दिन अखबारों में प्रमुखता से छपीं। इसके बाद कांग्रेसी दिग्गजों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं, जो दावत को लेकर अदावत के संकेत दे रही थीं। हरीश का त्रिवेंद्र की दावत में शामिल होना कुछ दिग्गज नेताओं को नहीं सुहाया।
चापलूसी करने से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है: हरक सिंह
नाम लिए बगैर पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि मेरे खिलाफ ईडी और सीबीआई का छापा इन्हीं लोगों की देन है। तंज कसने से रंजीत रावत भी पीछे नहीं रहे। हरक ने तो खुलकर अपना दर्द बयां कर दिया। बोले, उत्तराखंड कांग्रेस के प्रभारी रहे देवेंद्र यादव के समय कांग्रेस पार्टी भर्ती घोटाला, भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रही थी। उस समय पार्टी के यही नेता भाजपा सरकार के मुखिया की तारीफ करते थे।
इससे पार्टी का संघर्ष बेकार हो जाता। यह बात सही है कि राजनीति में संबंध अच्छे रहने चाहिए। सत्ताधारियों की चापलूसी करने से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है, जो पार्टी के लिए अच्छा नहीं है। हरीश रावत के करीबी रहे कांग्रेस नेता रंजीत सिंह रावत ने कहा कि त्रिवेंद्र रावत की आम दावत आम नहीं खास है। पार्टी नेताओं की इस तरह की गतिविधियों से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी पीएम मोदी का गुणगान किया गया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को कहा गया कि कार्यशैली कमजोर है।
#राजनीति की भी कैसी माया है? #आम मैंने खाया और राजनीतिक मुंहपके के बीमार कुछ और लोग हो गये। मैंने दिन के उजाले में आम खाया है। मैं रात के अंधेरे में मुख्यमंत्री जी के पास अपना या अपने करीबी का क्रेसर बचाने के लिए नहीं गया, न मैंने लोकसभा के चुनाव में चुप्पी साधने का किसी को वचन दिया! राजनीति के अंदर राजनीतिक सौहार्द और शिष्टाचार को आगे बढ़ाने की पहल मैं नहीं करूंगा तो फिर इस राज्य के अंदर उस व्यक्ति का नाम बताइए जो इस पहल को करेगा? एक-दो ही लोग हैं जिनको इस तरीके की पहल प्रारंभ करनी चाहिए और दोनों तरफ से करनी चाहिए। राजनीति सिद्धांतों, विचारों और परिश्रम का खेल है।
मैं उन लोगों से सीख नहीं लेना चाहूंगा, जिन लोगों ने विधानसभा चुनाव से पूर्व हुए सल्ट के उप चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ खुलेआम काम कर सल्ट में जी-तोड़ मेहनत कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं का अपमान किया था। मैं तो 57 साल से कांग्रेस की राजनीति में एक निष्ठ भाव से एक ही स्थान पर खड़ा हूं और जो स्थान बदलने के विषय में माहिर हैं। जिनके विषय में कहां नहीं जा सकता है कि आज कहां हैं और कल कहां होंगे? ऐसे लोग कम से कम मुझे पार्टी की निष्ठा के संबंध में उपदेश न दें तो अच्छा रहेगा।:-हरीश रावत