मेट्रो हॉस्पिटल जिसमें हार्ट के इलाज का दावा किया जाता है, अस्पताल में हार्ट का कोई भी डॉक्टर नहीं, बिना इलाज के मरीज ने तोड़ा दम।
हरिद्वार। सिडकुल क्षेत्र में बना मेट्रो हॉस्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट जनपद वासियों की जान ले रहा है। दरअसल सिडकुल में हार्ट के इलाज करने का दावा करते हुए मेट्रो हॉस्पिटल द्वारा एक आलीशान लग्जरी सुविधाओं से युक्त हॉस्पिटल बनाया था जिसमें हार्ट के मरीजों के इलाज का दावा किया गया था लेकिन अब यह अस्पताल सफेद हाथी बन कर रह गया है अस्पताल में हार्ट का कोई भी डॉक्टर नहीं है जो मरीज दिल का इलाज कराने अस्पताल जा रहे हैं उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ रही है।
दरअसल शनिवार रात एक ऐसा ही मामला सामने आया है राजकीय प्राथमिक शिक्षक एसोसिएशन के ब्लॉक अध्यक्ष अन्नकी गांव के रहने वाले अध्यापक अमरीश चौहान के पिताजी अचपल चौहान की अचानक तबीयत खराब हो गई उनके सीने में दर्द की शिकायत हुई, तत्काल वह उन्हें मेट्रो हॉस्पिटल ले गए, लाख मिन्नतों के बाद भी हॉस्पिटल वालों ने उन्हें भर्ती नहीं किया, अस्पताल में हार्ट का डॉक्टर मिलना तो दूर उन्हें प्राथमिक चिकित्सा भी नहीं दी गई ,हॉस्पिटल प्रबंधन ने हार्ट का डॉक्टर ना होने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया, बदहवास परिजन मरीज को लेकर बंगाली हॉस्पिटल जा रहे थे तभी रास्ते में ही अचपल चौहान ने दम तोड़ दिया।
इसी दौरान अमरीश चौहान द्वारा अपने साथी अध्यापक एवं पत्रकार शिवा अग्रवाल से भी मदद मांगी, शिवा अग्रवाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर अस्पताल प्रबंधन, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित कई अधिकारियों को फोन घुमाएं,मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसके झा ने हॉस्पिटल प्रबंधन से बात करके बताया कि वहां पर हार्ट का डॉक्टर ही नहीं है जो डॉक्टर अभिलाष वहां हुआ करते थे अब उन्होंने रानीपुर मोड़ पर अपनी दुकान खोल ली है
डॉक्टर अभिलाष का नंबर शहर के नामचीन डॉक्टर से फोन करके लिया गया, बड़ी उम्मीद के साथ डॉक्टर अभिलाष को फोन मिलाया गया, लेकिन डॉक्टर साहब भी फोन स्विच ऑफ आया, डॉक्टर साहब ने हॉस्पिटल से नौकरी छोड़ दी है और अपनी दुकान जमाने के लिए आजकल अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन छपवा रहे हैं लेकिन जो नंबर दिए जा रहे हैं वह नंबर उठते नहीं हैं और डॉक्टर साहब समय से ही अपना फोन स्विच ऑफ कर लेते हैं ऐसे में सवाल उठता है कि इस शहर में हार्ट के मरीजों के लिये क्या सुविधा है अगर सरकारी अस्पताल की बात करें तो वहां भी कोई हार्ट का डॉक्टर नहीं है ऐसे में हरिद्वार में दिल के मरीजों को के लिए क्या सुविधा हैं आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से फेल है।
अब परिजन उक्त अस्पताल के विरोध में लोगों को भ्रमित करने, हार्ट ऑफ इंस्टिट्यूट का बोर्ड लगाकर लोगों की जान लेने वाले इस अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मन बना रहा है।