उत्तराखंड में विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ उतरी आशा वर्कर्स, राज्य कर्मचारी घोषित करने समेत ये रखी मांगें……
देहरादून: प्रदेश महामंत्री ललितेश विश्वकर्मा ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण और शहरी सेवा की बुनियाद के रूप में आशाएं लगातार सेवाएं देती आ रही हैं। प्रसव से लेकर टीकाकरण तक का हर कार्य नियमित रूप से कर रही हैं। कहा कि बीते वर्षों में सरकार ने उन पर काम का अतिरिक्त बोझ डाल दिया है।आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री संगठन ने आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित करने, प्रतिमाह 18 हजार रुपये मानदेय, पांच लाख का बीमा देने आदि की मांग की। भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को स्वास्थ्य सचिव डा. आर राजेश कुमार से मुलाकात की।
इस दौरान 13 सू्त्रीय मांगपत्र उन्हें सौंपा गया।प्रदेश महामंत्री ललितेश विश्वकर्मा ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण और शहरी सेवा की बुनियाद के रूप में आशाएं लगातार सेवाएं देती आ रही हैं। प्रसव से लेकर टीकाकरण तक का हर कार्य नियमित रूप से कर रही हैं। कहा कि बीते वर्षों में सरकार ने उन पर काम का अतिरिक्त बोझ डाल दिया है।
आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित करने, प्रतिमाह न्यूनतम 18 हजार रुपये मानदेय, पांच लाख का बीमा, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के लाभार्थी के लिए अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष करने, वेज बोर्ड का गठन, कार्यों का भुगतान प्रतिमाह करने, स्वास्थ्य कार्ड का लंबित भुगतान शीघ्र करने, रिटायरमेंट बेनिफिट के रूप में एकमुश्त पांच लाख रुपये का भुगतान, शैक्षिक योग्यताधारी आशाओं को एएनएम का प्रशिक्षण प्रदान कर पदोन्नति, कार्य के दौरान दुर्घटना होने पर पांच लाख व मृत्यु पर दस लाख का भुगतान, डेंगू सर्वे के लिए कार्य के लिए दो हजार रुपये निर्धारित कर भुगतान, पल्स पोलियो का भुगतान बढ़ाने, विभिन्न कार्यों की एवज में जी जाने वाली प्रोत्साहन राशि रिवाइज करने आदि की मांग की।
स्वास्थ्य सचिव ने एमडी एनएचएम को इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष संजीव बिश्नोई, प्रदेश कोषाध्यक्ष गंगा गुप्ता, बुद्धि बल्लभ थपलियाल, पवन कुमार, सुनीता तिवारी आदि उपस्थित