उत्तराखंड में अब भवन कर वसूलने की आड़ में बस्तियों को उजाड़ने की तैयारी…..

देहरादून: बस्तियों पर टैक्स के बहाने लिए जा रहे मालिकाना हक न जताने के शपथ पत्र! स्पष्ट लिखा टैक्स का मतलब मालिकाना हक नहीं, शपथ पत्र में लिखा किसी सरकारी आदेश के खिलाफ नहीं जा सकेंगे कोर्ट! कहां गए बस्तियों के राहनुमा नेता! मंत्री से लेकर विधायक राजपुर रोड अब क्यों सिले हुए हैं मुँह।

नगर निगम देहरादून ने बस्तियों पर टैक्स लगाने की आड़ में बस्तियों के लोगों को उजाड़ने की पुख्ता तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल, इन दिनों नगर निगम की ओर से शहर की तमाम बस्तियों के लोगों से भवन कर वसूलने का ढोल खूब जोर से पीटा जा रहा है। इसमें सारे नेता खुद को रहनुमा की तरह पेश करते हों। फिर बात मेयर सुनील उनियाल गामा की हो, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की या फिर राजपुर रोड विधायक खजान दास। सब बस्तियों पर टैक्स लगाकर इस तरह से दर्शा रहे हैं कि टैक्स लगाकर बस्ती वालों के साथ न्याय किया जा रहा है।

खैर, बस्ती वालो के इन रहनुमाओं की पोल खुलने लगी है। इन दिनों जब बस्ती के रहने वाले लोग टैक्स जमा कराने के लिए पहुँच रहे हैं तो उन्हें एक शपथ पत्र भी गुपचुप नगर निगम थमा रहा है। अब बस्ती के भोले भाले लोग इस शपथ पत्र की भाषा को पढ़े बिना इस खुशफहमी में की उन पर टैक्स लगाया जा रहा है।

उक्त शपथ पत्र को भी भर दे रहे जिसमें स्पस्ट लिखा है कि करारोपण का मतलब यह नहीं कि वे उक्त प्रक्रिया से संपत्ति का मालिकाना हक साबित होगा। साथ ही इसमें यह भी लिखा गया है कि उक्त निर्माण के संबंध में न तो न्यायालय में कोई वाद विवाद लंबित है और न ही भविष्य में किसी भी सरकारी आदेश के विपरीत उनके द्वारा कोई केस कोर्ट में डाला जाएगा।

कहने का मतलब यह कि बस्ती वालों के हाथ बड़ी ही शातिरपने के साथ नगर निगम काटने में लगा है। इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि अगर नगर निगम बस्तियों के ध्वस्तीकरण या चौड़ीकरण को लेकर कोई आदेश भविष्य में निकालता है तो उसके खिलाफ कोई कोर्ट जा ही नहीं पायेगा क्योंकि वह पहले ही लिखकर दे चुका होगा कि वह किसी भी सरकारी आदेश के खिलाफ कोर्ट नहीं जाएगा।

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