उत्तराखंड में अब शिक्षा और उच्च शिक्षा विभाग में ऐसे होंगे ट्रांसफर ये आदेश हुआ जारी……
देहरादून: उच्च शिक्षा विभाग / विद्यालयी शिक्षा विभाग हेतु स्थानान्तरण अधिनियम 2017 के कतिपय प्राविधानों से छूट प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में।
उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिये वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम, 2017 की धारा-27 में अधिनियम के क्रियान्वयन में कठिनाई का निवारण के संबंध में प्राविधान है कि :- इस अधिनियम के प्रख्यापन के उपरान्त अन्य विभागों की वार्षिक स्थानान्तरण
नीतियों / अधिनियमों पर इस अधिनियम का अध्यारोही प्रभाव होगा:
परन्तु यह कि यदि किसी विभाग द्वारा अपने विभाग की विशिष्ट परिस्थितियों के कारण इस अधिनियम के किसी प्राविधान में कोई परिवर्तन अपेक्षित हो अथवा कार्यहित में कोई विचलन किया जाना आवश्यक हो अथवा कोई छूट अपरिहार्य हो तो ऐसे परिवर्तन / विचलन / छूट हेतु प्रस्ताव सकारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा। इस समिति की संस्तुति पर मा० मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन के उपरान्त ही वांछित परिवर्तन / विचलन / छूट अनुमन्य होगा।
2- अतः इस सम्बन्ध में उक्त समिति की संस्तुति के क्रम में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि शासन द्वारा सम्यक विचारोपरान्त उच्च शिक्षा विभाग / विद्यालयी शिक्षाविभाग हेतु छात्रहित / कार्यहित में स्थानान्तरण अधिनियम 2017 के कतिपय प्राविधानों से निम्नवत् छूट प्रदान की जाती है :-
(क) यदि किसी महाविद्यालय / विद्यालय में शैक्षणिक सत्र के मध्य स्वास्थ्य कारणों (कैंसर, ब्लड कैंसर, एड्स / एच०आई०वी० (पोजिटिव) हृदय रोग (बाय पास सर्जरी अथवा एंजियोप्लास्ट्री किया गया हो) किडनी रोग (दोनों किडनी फेल हो जाने से डायलिसिस पर निर्भर, किडनी ट्रांसप्लान्ट किया गया हो अथवा एक किडनी निकाली गयी हो) ट्यूबरकुलोसिस (दोनों फेफड़े, संकमित हो अथवा एक फेफड़ा पूर्णतः खराब हो). स्पाईन की हड्डी टूटने, सार्स (थर्ड स्टेज), मिर्गी, मानसिक रोग आदि अन्य गम्भीर रोग) के प्रकरण संज्ञान में आते है तो प्रभावित कार्मिकों को उनके ऐच्छिक स्थान में रिक्ति उपलब्धता की दशा में सक्षम प्राधिकारी द्वारा शैक्षणिक सत्र समाप्ति अथवा स्वस्थ हो जाने पर प्रस्तुत प्रमाण पत्र (जो भी पहले हो) तक नितान्त अस्थायी तौर पर कार्य योजित किया जा सकेगा। इन मामलों में चिकित्सा बोर्ड / सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र आवश्यक होगा।
निम्नलिखित मामलों में छात्रों को अनवरत शिक्षा सुलभ कराने के उद्देश्य से निदेशक, उच्च शिक्षा/ महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा के अनुमोदन पर मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा विभागीय कार्य आवश्यकतानुसार निकटवर्ती महाविद्यालयों/ विद्यालयों से / में आवश्यकतानुसार शिक्षकों को शैक्षणिक सत्र की समाप्ति तक कार्य योजित किया जा सकेगा-
1. संस्था में संबंधित विषय में पर्याप्त छात्र संख्या होने के बावजूद विषय शिक्षक न हो। 2. संस्था में छात्र संख्या शून्य हो परन्तु शिक्षक कार्यरत हो
3. संस्था में स्वीकृत सीटों के सापेक्ष छात्र संख्या न्यून / अधिक हो परन्तु संबंधित विषय में शिक्षकों की संख्या यथाआवश्यकता अधिक / न्यून हो इस प्रकार के प्रकरणों के परीक्षण हेतु अपर सचिव, उच्च शिक्षा / अपर सचिव, विद्यालयी शिक्षा / महानिदेशक, विद्यालयी शिक्षा की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जायेगा।
4. शिक्षकों की सेवानिवृत्ति, स्थानांतरण दीर्घ अवकाश व अन्य कारणों से शिक्षकविहीन हो जाने की दशा में।