उत्तराखंड में आज यहाँ काॅलेज में किया गया नि-क्षय पोष्टिक द्वितीय फूडकिट का वितरण, प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान’ अभिनव पहल : रविन्द्र पुरी……

हरिद्वार :एस.एम.जे.एन. काॅलेज में आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ द्वारा ‘प्रधानमंत्री टी.वी. मुक्त भारत अभियान’ के अन्तर्गत अध्यक्ष, काॅलेज प्रबन्ध समिति व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी जी महाराज व काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील कुमार बत्रा द्वारा क्षय रोगियों हेतु नि-क्षय पोष्टिक फूडकिट का वितरण किया गया।

इस अवसर पर काॅलेज प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्रीमहन्त रविन्द्र पुरी महाराज जी ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रारम्भ किया गया टीबी अभियान की मुक्त कंठ से प्रंशसा करते हुए कहा कि टीबी रोगियों में कुछ लोगों के पास अपनी बीमारी का इलाज करवाने के लिए और बीमारी के समय पौष्टिक आहार के लिए धन नहीं होता। देश को टीवी मुक्त बनाने के लिए निक्षय मित्र की भूमिका काफी कारगर साबित होगी।

काॅलेज के प्राचार्य प्रो. डाॅ. सुनील कुमार बत्रा ने बताया कि क्षय रोगियों को गोद लेकर भावनात्मक और सामाजिक सहयोग उपलब्ध कराये जाने के अच्छे परिणाम सामने आयेंगे। वहीं नि-क्षय मित्र हर माह पुष्टाहार उपलब्ध करायेंगे। उन्होंने बताया कि आज काॅलेज परिवार द्वारा निक्षय मित्र योजना के अन्तर्गत 21 पौष्टिक फूड किटों का वितरण किया गया।

आन्तरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ प्रभारी डाॅ. संजय माहेश्वरी ने अपील की कि हम सभी का दायित्व है कि क्षय रोगियों को भावनात्मक सहयोग के साथ उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध करवायें ताकि वे छः माह के भीतर पूरी तरह से स्वस्थ हो सकें।

‘प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान’ के अन्तर्गत नि-क्षय मित्र बनाये जाने हैं। इस पहल के तहत नि-क्षय मित्र द्वारा टी.वी. रोगियों को 06 माह से 03 वर्ष तक पोषण सहायता, नैदानिक सहायता और व्यवसायिक सहायता प्रदान की जा सकती है।

महाविद्यालय में माह दिसम्बर हेतु 21 क्षय रोगियों हेतु नि-क्षय पोष्टिक फूडकिट का वितरण किये जाने में प्रो. सुनील कुमार बत्रा, प्रो. तेजवीर सिंह तोमर, डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी, प्रो. जे.सी. आर्य, डाॅ. नलिनी जैन, विनय थपलियाल, डाॅ. सुषमा नयाल, डाॅ. प्रदीप त्यागी,डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डाॅ. विजय शर्मा, डाॅ. पुनीता शर्मा, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. विनीता चैहान, डाॅ. सरोज शर्मा, डाॅ. आशा शर्मा, श्रीमती रूचिता सक्सेना, श्रीमती कविता छाबड़ा, कु. वन्दना सिंह, एम.सी. पाण्डेय, श्रीमती रिंकल गोयल, आलोक शर्मा व डाॅ. शिवकुमार चौहान का सराहनीय योगदान रहा।

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