उत्तराखंड में अब विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी के निजी स्टाफ को लेकर सोशल मीडिया में मचा जमकर घमासान, जमकर लिस्ट हो रही वायरल…..
देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा बैक डोर भर्ती घोटाले को लेकर चर्चा में आई विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी आज एक बार फिर से चर्चा में है
रितु खंडूरी द्वारा गोविंद सिंह कुंजवाल कार्यकाल के 158 तदर्थ कर्मचारियों और प्रेमचंद अग्रवाल कार्यकाल के दौरान के 72 तदर्थ कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद जिस प्रकार वह मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है यह उत्तराखंड में पहली बार हुआ है।
रितु खंडूरी के इस निर्णय की कई प्रकार व्याख्या हुई और अधिकांश लोगों का मानना रहा कि इसमें कमेटी द्वारा सभी बैक डोर भर्तियों को अवैध माना गया था ज्यादातर ने ऋतू खंडूरी के इन फैसलों की तारीफ की और फैसले क़ो सही बताया तो कइयों ने ये भी सवाल उठाया की जब भर्तियां सभी अवैध थी तो इसके बावजूद प्रकाश पंत यशपाल आर्य और हरबंस कपूर के कार्यकाल के दौरान की बैैकडोर भर्तियों के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं लिया गया।
विधानसभा में कुंजवाल और अग्रवाल कार्यकाल के दौरान की भर्तियों की बर्खास्तगी शुरू हो चुकी है इस बीच सोशल मीडिया में रितु खंडूरी एक बार फिर चर्चा में आ गई है।
रितु खंडूरी के नाम से सोशल मीडिया में कुछ नाम चलाए जा रहे हैं कि किस प्रकार उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद उत्तराखंड से बाहर के लोगों को को-टर्मिनस आधार पर अपने साथ तैनात किया है अगर यह नाम पते और पदनाम सही है तो निश्चित रूप से विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी से भी सवाल पूछना लाजमी हैं की क्या अपने स्टॉफ के लिए उनक़ो उत्तराखंड का कोई भी सुयोग्य नहीं मिला।
सोशल मीडिया में एक लिस्ट वायरल हो रही हैं कि विशेष कार्य अधिकारी अशोक शाह पुत्र स्वर्गीय डीएल शाह निवासी मकान नंबर 5 बी 11वी सी ब्लॉक जनकपुरी नई दिल्ली अशोक शाह के बारे में दावा किया जा रहा है कि इन्हें लेवल 10 की तनख्वाह पर रखा गया है जो प्रतिमाह ₹100000 बनता है।
दूसरे नंबर पर रितु खंडूरी के लिए सहायक जनसंपर्क अधिकारी आभास सिंह पुत्र भूपेंद्र सिंह निवासी फ्लैट नंबर 1130 ब्लॉक ए गौर सिटी 1 नोएडा एक्सटेंशन इनके लिए लेवल 7 की वेतन जो कि लगभग ₹60000 है तय की गई है।
तीसरे नंबर पर सहायक सूचना अधिकारी उत्कर्ष रमन पुत्र मूलनिवासी पटना बिहार है इनके लिए भी लेवल 7 की तनख्वाह लगभग ₹60000 नियत की गई है।
चौथे नंबर पर सलाहकार के रूप में ललित डागर को तैनाती दी गई है जो 28 कैलाश नगर नई दिल्ली के रहने वाले हैं लेकिन अवेतनिक बताए जा रहे हैं रितु खंडूरी के नाम से चल रहे इन नामों से आने वाले समय में उत्तराखंड की राजनीति में कितना शोर मचेगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा।
किंतु जिस प्रकार बैक डोर भर्ती के खिलाफ एक्शन लेने के बाद रितु खंडूरी पर यह रिएक्शन देखने को मिला है उसे एक बात तो तय है कि आने वाले वक्त में भाजपा के भीतर भाजपा कि कलह और तेजी से उभर कर आएगी।