उत्तराखंड के विधानसभा में बैकडोर भर्ती पर सीएम धामी और विधानसभा अध्यक्ष के तीखे तेवर, बढ़ सकती है इन दो दिग्गजो की मुश्किलें….

देहरादून: विधानसभा में बैकडोर भर्ती पर सीएम धामी और विधानसभा अध्यक्ष के तीखे तेवर, सीएम धामी और ऋतु खंडूड़ी के स्टैंड से बढ़ेंगी प्रेमचंद अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल की मुश्किलें।

विधानसभा बैकडोर में भर्तियों पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह ने युवाओं के हितो क़ो आगे करते हुए साफ संदेश दिया की भर्तियों के मामले में उनका स्टेण्ड युवाओं के पक्ष के साथ खड़ा रहेगा जिसके बाद से ही साफ हो गया की इस मामले में पूर्व विधानसभा अध्यक्षों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं

सूबे के मुखिया की कुर्सी संभालने वाले उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री धामी बार-बार अपने फैसलों और निर्णयों से सबको चौंकाते आये हैं।

विधानसभा में विवादित भर्तियों की जांच के मामले में भी धाकड़ धामी ने वही किया जिसका इंतजार आवाम कर रही थी। बगैर किसी लाग-लपेट और देरी के धामी ने जनभावनाओं के अनुरूप ठोस निर्णय लेते हुए विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच का अनुरोध विधानसभा अध्यक्ष से कर डाला। इसी का नतीजा है कि आज विधानसभा अध्यक्ष ने पूरे प्रकरण में एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित की है।

दरअसल, विधानसभा में भर्तियों के मामले में धामी सरकार के वर्तमान में मंत्री व पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष का नाम आने के बावजूद धामी झिझके नहीं और भाजपा-कांग्रेस से ऊपर उठकर उन्होंने पूरे प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष से जांच का अनुरोध कर डाला। सीएम धामी के इस कदम की खासतौर से युवा आबादी के बीच खासी प्रशंसा हो रही है।

वही दूसरी तरफ अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी का भी सख्त रवैया अब तक के अध्यक्षों के स्टैंड पर एक तरह से सवाल खड़ा कर रहा है।

पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल की मुश्किलें बढ़ेंगी।विधानसभा में बैकडोर भर्तियों से सदन की गरिमा के प्रतिकूल ठहराते हुए, अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने अब तक के अध्यक्षों के स्टैंड पर एक तरह से सवाल उठा दिया है। ऋतु ने साफ तौर पर विशेषाधिकार को सही फ्रेम में रखने की वकालत कर खासकर अपने पूर्ववर्ती प्रेमचंद अग्रवाल और गोविंद सिंह कुंजवाल की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

इसमें भी मौजूदा सरकार में मंत्री होने के नाते प्रेमचंद सीधे खतरे की जद में है। ऋतु खंडूड़ी ने साफ तौर पर कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के कुछ विशेषाधिकार हो सकते हैं लेकिन विशेषाधिकार के नाम पर हर चीज को जायज नहीं ठहराया जा सकता है। इसे सही फ्रेम में देखने की जरूरत है। उन्होंने सचिव मुकेश सिंघल को भी छुट्टी पर भेज दिया है।इन दोनों ही मामलों पर पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का रुख अलग रहा है।

प्रेमचंद विशेषाधिकार और नियम की आड़ में ना सिर्फ भर्तियों को जायज ठहरा रहे थे, बल्कि सचिव को तीन-तीन प्रमोशन देने के लिए भी नियमों का हवाला दे रहे थे। अब भर्तियों पर अध्यक्ष का रुख साफ होने के बाद सियासी तौर पर प्रेमचंद के लिए खतरा बढ़ गया है।

चुन चुनकर भाजपा और संघ के करीबियों को नौकरी दिए जाने की बात सामने आने के बाद, पार्टी पर इस मामले में सियासी रूप से भी फैसला लेने का दबाव बढ़ गया है। पूर्व में हुई बैकडोर भर्ती और नियमों का तर्क, वर्तमान अध्यक्ष द्वारा खारिज कर दिए जाने से उनका नैतिक आधार कमजोर हो गया है।सचिव सिंघल का दफ्तर सील

स्पीकर खंडूड़ी ने प्रेस कांफ्रेंस के तत्तकाल बाद ही विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल का दफ्तर अपनी में सील करा दिया। बाकायदा इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई। स्पीकर खंडूड़ी ने बताया कि जांच अफसर जब कहेंगे, तब ही सील को उनकी मौजूदगी में खोला जाएगा। सूत्रों ने बताया कि बैकडोर भर्तियों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज सिंघल अनुभाग के बजाय अपने दफ्तर में ही रखवाते थे।

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