चमोली आपदा: पौ फटते ही जिंदगी बचाने का मिशन जारी, अब तक 19 शव बरामद,153 लापता

चमोली: तपोवन के पास ग्लेशियर टूटने से आई तबाही (Chamoli disaster glacier burst ) का मंजर भयावह है। रविवार रात को बारिश और ऋषिगंगा में पानी आने से राहत और बचाव कार्य मे दिक्कतें आई,,लेकिन सोमवार सुबह पौ फटते ही रेस्क्यू ऑपरेशन मिशन मोड पर चलने लगा।

चमोली आपदा: ताजा अपडेट के मुताबिक:-

प्रभावित क्षेत्रों में रेस्क्यू व राहत सामग्री पहुंचाने का काम जोरों पर।
अब तक 19 शव बरामद
202 अभी भी लापता, ज्यादातर तपोवन क्षेत्र से
27 लोगों का हुआ रेस्क्यू (12 NTPC प्रोजेक्ट से , 15 ऋषिगंगा प्रोजेक्ट साइट से)
6 लोग घायल हुए हैं।
5 पुलों को नुकसान हुआ है।
SDRF के 70 जवान रेस्क्यू में जुटे हैं।
NDRF की 2 टीमें हैं
आर्मी, एयरफोर्स के भी 124 जवान मौजूद हैं।
ITBP के 425 जवान मौके पर मौजूद
4 मेडिकल टीम, 6 एम्बुलेंस साइट पर।

इनमें से ज्यादातर पावर प्रोजेक्ट में काम करने वाले मजदूर हैं।

रविवार को एसडीआरएफ ने आर्मी और आईटीबीपी के साथ रात तक सर्च ऑपरेशन चलाया। लेकिन बारिश के कारण ऋषिगंगा में पानी का स्तर बढ़ा तो ऑपरेशन सुबह तक रोकना पड़ा। बचाव एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती एक टनल में फंसे करीब 35 लोगों को बचाना है। एसडीआरएफ ने सुबह होते ही यहां बचाव का मिशन शुरू कर दिया। आर्मी, ITBP की टीम भी यहां बचाव कार्य मे लगी है। अच्छी बात ये है कि जिंदगी बचाने के लिए सभी बचाव एजेंसियों जे बीच कमाल का कॉर्डिनेशन दिख रहा है।

उधर एसडीआरएफ को बेला गांव में भी एक शव आज सुबह मिला है, जिसकी शिनाख्त नहीं हो पाई है। एसडीआरएफ के कमांडेंट नवनीत भुल्लर खुद ग्राउंड जीरो पर टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। सेना के 100 से ज्यादा जवान तैनात हैं, करीब 250 जवान स्टैंडबाय पर हैं। आईटीबीपी के भी 250 जवान मौके पर हैं। उत्तरक़ाशी बटालियन को भी तैयार रखा गया है।

बेला, रैणि और अन्य दर्जनभर गांवों जो मुख्य सड़क से बिल्कुक कट गए हैं,वहां राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।वायुसेना के हेलीकॉप्टर वहां राहत सामग्री गिरायेंगे। इसके लिए एयरफोर्स के Mi-17 और ALH हेलीकॉप्टर देहरादून से जोशीमठ के लिए उड़ान भर चुके हैं। एयरफोर्स की एक टीम को राहत सामग्री के साथ देहरादून में तैयार रखा गया है।

 

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