तो क्या आज 12 बजे हरक की एंट्री कांग्रेस में हो जाएगी, क्या मान गए हरीश, हरक के समर्थक पहुँचे दिल्ली….
देहरादून : भाजपा से निष्कासित हरक सिंह रावत क्या आज दिल्ली में कुछ कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस का हाथ थाम रहे हैं जी हां कांग्रेसी सूत्रों के अनुसार आज 12:00 बजे कांग्रेस के दिल्ली कार्यालय में हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री की जा सकती है।
माना जा रहा है कि हरीश रावत की नाराजगी के बावजूद क्या हरक की एंट्री हो सकती है। उनकी बहू अनुकृति गुसाईं भी कांग्रेस में शामिल हों सकती है संभावना यह भी है कि हरीश रावत को भी मना लिया गया हो पार्टी आलाकमान के निर्देश का पालन हरीश रावत को भी अब करना ही पड़े।
आपको बता दें हरक सिंह रावत को कांग्रेस में शामिल करने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल बहुत उत्साहित है हरक के आने से गणेश गोदियाल की उनकी विधानसभा में स्थिति और मजबूत हो जाएगी वही हरीश रावत भी गणेश गोदियाल को नाराज नहीं करना चाहते हैं इसलिए हरक की एंट्री हो सकती है।
वही हरक सिंह रावत के कई समर्थक दिल्ली पहुंच गए हैं और कई रास्ते में हैं। ऋषिकेश से राकेश अग्रवाल , संजय चोपड़ा , हितेश शर्मा , विजय सिंह चौहान , अनिल , कमल गोला भी दिल्ली पहुँच गए हैं।
हरक सिंह रावत ने श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। उन्होंने भाजपा और उसके आनुषांगिक संगठनों में कार्य किया। वर्ष 1984 में पहली बार वह भाजपा के टिकट पर पौड़ी सीट से चुनाव लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद वर्ष 1991 में उन्होंने पौड़ी सीट पर जीत दर्ज की और तब उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार में उन्हें पर्यटन राज्यमंत्री बनाया गया।
उस समय वे सबसे कम आयु के मंत्रियों में शामिल थे।हरक को वर्ष 1993 में भाजपा ने एक बार फिर पौड़ी सीट से अवसर दिया और वे फिर से जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचे। वर्ष 1998 में टिकट न मिलने से नाराज हुए हरक ने भाजपा का साथ छोड़ते हुए बसपा की सदस्यता ग्रहण की। तब उन्होंने रुद्रप्रयाग जिले के गठन समेत अन्य कार्यों से छाप छोड़ी, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए।
भाजपा से क्यों हुए निष्कासित
दरअसल, शनिवार को दावेदारों के पैनल के सिलसिले में दिल्ली में हुई पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की बैठक में हरक सिंह रावत को पार्टी से छह साल के लिए निकाला दिया गया था। बताया गया कि हरक परिवार के लिए तीन टिकट मांग रहे थे, जिसे केंद्रीय नेतृत्व ने खारिज कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना बेहतर समझा।
ये पहली बार नहीं है, जब हरक सिंह रावत ने तेवर दिखाए हों। कोटद्वार मेडिकल कालेज को लेकर भी वे मंत्रिमंडल की बैठक को छोड़कर निकल गए थे और इस्तीफे की धमकी दे डाली थी। इसके बाद से ही उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाओं ने भी जोर पकड़ लिया था।