अब इस करोना काल में रैली हुई तो प्रत्याशी की जेब में ये खर्चे भी पड़ेंगे भारी, नहीं किया ऐसा तो पड़ेंगे लेने के देने…..

देहरादून : निर्वाचन आयोग ने फिलहाल चुनावी रैलियों, आयोजनों पर रोक लगाई हुई है। लेकिन भविष्य में यदि आयोजन हुए भी तो यहां आने वाले लोगों को मास्क ओर सेनिटाइजर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संबंधित प्रत्याशी की होगी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या ने बताया कि इस बार प्रत्याशी आयोग की ओर से पूर्व निर्धारित स्थलों पर ही रैलियों, सभा का आयोजन कर सकेंगे, उत्तराखंड भर में ऐसे 601 मैदान चिन्हित किए गए हैं। इसके लिए उन्हें ऑनलाइन आवेदन करना होगा।

आवेदन के समय ही उन्हें यह शपथ पत्र देना होगा कि वो आयोजन में कोविड गाइडलाइन का पालन कराएंगे, साथ ही यहां आने वाले लोगों को मास्क, सेनिटाइजर, ग्लब्स, थर्मल स्कैनिंग जैसी सुविधा देंगे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई प्रत्याशी इस शर्त का उल्लंघन करते हुए पाया गया तो उन्हें भविष्य में चुनावी आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी।

साथ ही आपदा प्रबंधन एक्ट के साथ ही आईपीसी की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से तय गाइडलाइन के मुताबिक प्रचार के दौरान उपस्थिति के मानक तय किए जाएंगे। रैली, रोड शो, पद यात्रा, वाहन रैली पर फिलहाल 15 जनवरी तक रोक है। विजयी जुलूस भी नहीं निकाल पाएंगे।

ये होंगे बदलाव
1 रात को कैम्पेन कफ्र्यू लागू
निर्वाचन आयोग ने रात आठ बजे से सुबह आठ बजे तक कैम्पेन कफ्र्यू लागू कर दिया है। यानि इस दौरान चुनाव संबंधित कोई गतिविधि संचालित नहीं होगी। सामान्य दिनों में रात इस बजे तक चुनाव प्रचार होता था। साथ ही सड़कों पर नुक्कड़ सभा को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। आयोग ने दलों और प्रत्याशियों को चुनाव अभियान डिजिटल और मोबाइल मोड पर ले जाने की अपील की है।

2 किफायती होगा प्रचार
आमामी विधानसभा चुनाव बड़ी चुनावी रैलियों के बिना ही सम्पन्न होने के आसार हैं। चुनाव आयोग पहले ही 15 जनवरी तक बड़ी रैलियों, रोड शो पर रोक लगा चुका है। इस बंदिश के आगे भी जारी रहने की संभावना है। इस बार प्रचार के परंपरागत माध्यमों के न होने से सभी दलों और प्रत्याशियों की वर्चुअल माध्यमों पर निर्भरता बढ़ गई है। प्रत्याशियों का खर्च काफी कम होने के आसार हैं।

3 स्टार प्रचारक सीमित
आयोग ने इस बार स्टार प्रचारकों की संख्या भी घटा दी है। पहले राष्ट्रीय दलों के मामले में 40 स्टार प्रचारकों को प्रचार की अनुमति होती थी, जिसे अब घटाकर 30 कर दिया गया है। वहीं गैर मान्यता प्राप्त दलों के लिए यह संख्या 20 से घटाकर 15 कर दी गई है।

4 देरी से लगी आचार संहिता
इस बार 2017 की अपेक्षा आचार संहिता चार दिन देरी से लगी है। इसके उलट इस बार पिछले चुनाव की अपेक्षा मतगणना एक दिन पहले होगी और चुनाव नतीजे भी एक दिन पहले आ जाएंगे। यानी पिछले चुनाव में पार्टियों, दावेदारों और प्रत्याशियों को तैयारियों के लिए 42 दिन मिले थे, जबकि इस बार उन्हें महज 37 दिन का ही समय मिलेगा।

5 प्रचार को पांच दिन ज्यादा
इस बार चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों को अपने चुनाव प्रचार के लिए पांच दिन अतिरिक्त दिए हैं। वर्ष 2017 में 27 जनवरी को नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसके बाद 14 फरवरी तक प्रचार का समय था।

6 बड़ी रैलियों की संभावना नहीं
आने वाले कुछ दिनों तक चुनावी रैलियों पर रोक लगाने के आदेश जारी होते ही कई नेताओं के माथों पर चिंता की लकीरें हैं। हालांकि ये रोक फिलहाल 16 जनवरी तक के लिए है। यदि ये प्रतिबंध जारी रहे तो बड़े नेता रैलियां नहीं कर पाएंगे।

7 भाजपा के रहते चुनाव
राज्य में पिछला चुनाव कांग्रेस सरकार के रहते हुआ था। लेकिन इस बार भाजपा की सरकार के रहते विधानसभा चुनाव होगा। जिस पार्टी की सरकार है, माना जाता है कि, अपनी सरकारी मशीनरी होने के कारण उसे कुछ न कुछ चुनावी लाभ जरूर मिलता है।

8 किसान आंदोलन का साया
राज्य में पिछला चुनाव सामान्य स्थितियों में हुआ था। लेकिन इस बार किसान आंदोलन के चुनाव में अहम भूमिका निभाने का अनुमान राजनीति के जानकारी लगा रहे हैं। खासकर हरिद्वार और यूएसनगर जिलों में आंदोलन का असर चुनाव नतीजों पर असर की संभावना है।

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