महिला कल्याण विभाग की महिला मंत्री रेखा जी सुनिए! आप चुनाव में व्यस्त इधर, सरकारी सिस्टम ने सैंकड़ों संवासनियों के सामने खड़ा किया “खाने” का संकट,….
देहरादून : सिस्टम के नक्कारपन ने दून के नारी निकेतन में रह रही सवा सौ से ज्यादा संवासनियों के सामने भोजन का संकट खड़ा कर दिया है।
मामला जुड़ा है महिला कल्याण विभाग के देहरादून स्थित नारी निकेतन से। आपको बता दें कि इस केंद्र में पिछले 5 साल से herbatpur स्थित लेहमन अस्पताल द्वारा सभी संवासनियों को चिकित्सा सेवाएं दी जा रही थी। लेकिन विगत वर्ष इस संस्था पर न नुकुर करने के बावजूद भोजन देने का भी जिम्मा डाल दिया गया।
विडंबना देखिये की पूरे साल से संवासनियों के भोजन व खाने का जिम्मा संभाल रहे लेहमन अस्पताल से कोई करार नहीं किया गया। अस्पताल की ओर से लगातार पत्राचार कर करार के लिए कहा गया लेकिन हर बार टाल दिया गया।
जब अस्पताल संचालकों के सिर से पानी बहने लगा तो उन्होंने खाने की सप्लाई से हाथ खींचने चाहे लेकिन यहां भी उन पर दबाव बनाकर उनसे अब तक संवासनियों को भोजन दिलवाया जा रहा जबकि कोई mou अब भी नहीं हुआ है।
लेहमन संचालकों का कहना है कि विभाग को उनकी 1 करोड़ से ज्यादा की देनदारी चुकानी है लेकिन निदेशालय mou तक करने को तैयार नहीं। स्थिति ये है कि cdo से लेकर तमाम निचले अफसर mou के लिए निदेशालय को लिख चुके हैं लेकिन “commison”के इस खेल में कोई भुगत रहा है तो वो अस्पताल है।
मैं 15 दिन की छुट्टी पर हूँ। ज्यादा नहीं बता सकता लेकिन ये फ़ाइल मंत्रीजी के पास है। इससे ज्यादा मत पूछिए। मेरे पास सचिव साहब का नंबर भी नहीं है और तड़ से फोन काट दिया।
प्रदीप रावत, निदेशक, महिला कल्याण
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मैं प्रेस से बातचीत के लिए अधिकृत नहीं हूँ। फिर भी बता रहा हूँ कि mou हुआ है। आपको गलत जानकारी दी गयी है।
निदेशालय स्तर के एक अधिकारी
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हमने बार बार ये मामला पत्र व्यवहार के जरिये निदेशालय के संज्ञान में लाया है। cdo मैडम भी निदेशालय को पत्र भेज चुकी हैं।
जिला स्तर की एक अधिकारी
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ये वही निकेतन जहां हो चुके बड़े बड़े कांड
आपको बता दें कि ये नारी निकेतन पहली बार अपने कारनामों के कारण सुर्खियां नहीं बन रहा बल्कि बीते एक दशक से इसके अफसर और मुलाजिम कोई न कोई कांड करके खबरों का हिस्सा बनते रहे। घोर अव्यवस्थाओं से लबरेज इस केंद्र में संवासनियों के उत्पीड़न से लेकर उनके भागने, उनसे दुर्व्यवहार व उचित चिकित्सा देखभाल न होने के कारण यह केंद्र हमेशा से खबरों में रहा है। यहां पूर्व में बड़े से बड़े कांड हो चुके हैं लेकिन अफसरशाही है कि सुधारना तो दूर अब भी पहाड़े ही पढ़ाने का काम कर रही है।