उत्तराखंड के सर्वे में सीएम की पहली पसन्द बने हरदा तो फेसबुक पर हरीश रावत ने कह दी ये बड़ी बात….
देहरादून : पिछले दिनों देवभूमि डायलॉग द्वारा राजनीतिक सर्वे करवाया गया जिसमें हरीश रावत को प्रदेश में सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री और जनता की पहली पसंद बताया गया जिसके से हरीश रावत खासे गदगद हैं हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया के माध्यम से लिखते हुए साफ कहा कि।
#DevbhoomiDialogue पोर्टल का चुनावी सर्वेक्षण पढ़ने के बाद, मेरे मन में बड़ी हलचल है, एक तिहाई से ज्यादा लोगों की मुख्यमंत्री के रूप में पसंद बनना एक बड़ी सौगात है और ये सौगात उस समय और प्रखर हो जाती है जब इसपर पार्टी की शक्ति लगी हुई नही होती है। जिसके नेतृत्व को लेकर पार्टी में ही असमंजस हो उसको इतना आर्शीवाद मिलना जनता जनार्दन की कृपा है लोग हरीश रावत को पसंद नही करते, लोग उत्तराखंडियत के साथ है।
2014 से लेकर 2017 तक की सरकार के छोटे से कार्यकाल की जो योजनाएं हमने संचालित की, जो नीतियाँ हमने बनाई, जो एक जुनूनमुखी मुख्यमंत्री के तौर पर हमने काम किया , ये उसके कारण प्राप्त हो रही है मैं अपने आपको एक साधनहीन, शक्तिहीन, समर्थनहीन कहूँगा क्योंकि शक्तिशली लोगों का मेरे पास समर्थन हासिल नही है | सत्ता की पूरी ताकत मुझे बदनाम करने में लगी हुई है ऐंसी स्थिति में लोगों का ये प्यार मुझसे चुपके चुपके कानों में कह रहा है की हरीश अब बहुत हो गया है, आगे और विवाद में क्यों पड़ते हो | लोगों की चाहत बना रहना एक बड़ी उपलब्धि है इस पूँजी के साथ अब अपने आप को केवल केवल उत्तराखंडियत के लिए समर्पित करूँ।
अब थोड़ा मुझे अपने बेेटे बेटियों जिन्होने मेरी ही गलतियों वश राजनीति की और कदम बढ़ा दिये या मेरी ढिलाई समझ लिजिए प्रोत्साहन तो मैंने कभी दिया नही लेकिन मेरी ढिलाई के कारण वो भी इस काम में लग गये, उनकी चिंता होती है क्योंकि उनके प्रति भी मेरा दायित्व है मगर राज्य के प्रति जनता के प्रति दायित्व बड़ा है मैं जानता हूँ कुछ बड़ी शक्तियाँ किसी भी हालत में मुझे 2014 से 2016 की और 2017 केे प्रारंभ तक की पुनरावृत्ती नही करने देंगे मुझे मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए पूरी शक्तियाँ एकीकृत होकर काम करेंगी।
चुनौती स्वीकार करने का अर्थ है चुनाव को करो या मरो के भाव से लड़ना मैं राजनीति में इस भाव का समर्थक नही हूँ, ये लोकतंत्र का त्यौहार स्नेह का त्यौहार है मगर जब अपने और पराय दोनों इस त्यौहार में आपको सम्मिलित नही करना चाहते है तो छुपके सेे उत्तराखंडियत का ध्यान लगाना , बाबा केदार को अपने आप को समर्पित करना जीवन का रास्ता है।