उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने अब इस मुद्दे पर उठाए सवाल ,अपनी सरकार की कोशिशों का भी जिक्र……

देहरादून : प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आए दिन सरकार को किसी ना किसी की बात पर कोसते नजर आते हैं ऐसे में सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की कोशिश की है हरीश रावत ने कहा कि पुष्टाहार के क्षेत्र में #इंदिरा_अम्मा_कैंटिनों का बड़ा भारी महत्व था, इसके जरिए एक तरफ उत्तराखंड के परंपरागत अन्न से बने हुये व्यंजन परोसे जाते थे और दूसरी तरफ ये सब्सिडाइज फूड होता था, जिसमें ₹20 में व्यक्ति भरपूर पौष्टिक आहार प्राप्त कर सकता था। हमने ऐसी 40 इंदिरा अम्मा कैंटीन खोली, सौ कैंटीन खोलने का हमारा लक्ष्य था। आज इंदिरा अम्मा कैंटीनों की स्थिति बहुत दयनीय हैं कुछ बंद हो गई हैं, कुछ बंद होने की कगार में हैं क्योंकि सरकार अपनी तरफ से जो ₹5 सब्सिडी देती थी प्रति थाली उसको बंद कर दिया गया है।

पेंशनों के अतिरिक्त 2014 से 2016 के बीच में हमारी सरकार ने पौष्टिकता के क्षेत्र में बहुत उल्लेखनीय काम किया। हमने बाल पुष्टाहार में दूध और अंडे के साथ जो गर्भवती महिला पुष्टाहार था उसमें अतिरिक्त सप्लीमेंट/ पुष्टाहार के रूप में 2 किलो मडुवे का आटा, 1 किलो काले भट्ट जिसमें प्रोटीन और आयरन, दोनों होता है। मडुवे में आयरन और मैग्नीशियम आदि काफी मात्रा में पाया जाता है और उसके साथ आयोडीन की कमी को पूर्ति करने के लिए 1 किलो नमक जोड़ा जिसे स्वयं सहायता समूह और आंगनबाड़ियों की बहनों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं तक पहुंचाया जाता था। हमने वृद्ध महिला पुष्टाहार के लिए भी योजना प्रारंभ की और इस योजना के तहत 65 साल से ऊपर की वृद्ध महिलाओं को पुष्टाहार वितरित किया जाता था और यह काम भी महिला स्वयं सहायता समूहों और आंगनबाड़ी की बहनों को सौंपा गया ताकि उनको भी अतिरिक्त रोजगार मिल सके इस उद्देश्य से उनको सौंपा।

हमारे राज्य के अंदर ए.पी.एल. और बी.पी.एल. के कार्ड धारकों, सस्ते गल्ले के लिये जो विभाजक रेखा है वो बहुत ही कमजोर है। जिन लोगों के पास बीपीएल के कार्ड थे उनको तो सस्ता गेहूँ व सस्ता चावल, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत मिलता था। हमने APL के कार्ड धारकों के लिए भी सस्ता गेहूँ और सस्ता चावल देने की परंपरा प्रारंभ की। ₹9 किलो चावल और ₹5 किलो गेहूँ एपीएल के कार्ड धारकों को भी दिया जाता था ताकि वो पर्याप्त मात्रा में अन्न का उपयोग कर सकें और जो पौष्टिकता की समस्या उत्तराखंड में थी उसका समाधान निकल सके।

हमने गर्भवती महिलाओं के लिये पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दुग्ध पोषण की योजना भी शुरू की। वृद्ध महिला पुष्टाहार योजना वर्तमान सरकार ने बंद कर दी है और एपीएल के कार्ड धारकों को दिये जाने वाले गेहूँ और चावल के दाम भी काफी बढ़ा दिये हैं।

वर्तमान सरकार ने पुष्टाहार विशेष तौर पर महिला गर्भवती पुष्टाहार की मात्रा में भी घटोतरी कर दी है और आज यही कारण है कि जच्चा-बच्चा मृत्यु दर जो एक बार नियंत्रण में आकर के घटनी शुरू हो गई थी वो फिर वृद्धि की ओर है। मैं समझता हूंँ कि पुष्टाहार को सार्वभौम किया जाना चाहिए और इसीलिये हमने सार्वभौम पुष्टाहार योजना शुरू करने का संकल्प लिया ताकि महिलाओं में जो खून की कमी है, महिलाओं में जो अनिमियकनेस है उसको दूर किया जा सके।

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