उत्तराखंड में हरदा को पता है क्यों हटाया गया बेबी रानी मौर्या को राज्यपाल पद से, कही ये बात……
देहरादून : दलित परिवार से ताल्लुक रखने वालीं बेबी रानी मौर्य को भाजपा राजनीतिक कारणों से लेकर आई थी और अब गैर राजनीतिक कारणों से विदा भी कर दिया। उन्होंने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में अनियमितता और तमाम दूसरी अनियमितताओं की ओर राज्य सरकार का ध्यानाकर्षण किया था।
इसके बाद कौन किसके लिए अप्रिय हो गया, कहा नहीं जा सकता है। लेकिन इतना तय है कि भाजपा शासनकाल में सांविधानिक संस्थाएं निष्पक्षता से काम नहीं कर पा रही हैं। कांग्रेस भवन में मीडिया से बातचीत करते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत ने यह बात कही। हरीश रावत ने कहा कि राज्यपाल का पद अपने आप में एक सांविधानिक संस्था होता है और इस संस्था की गरिमा बची रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में जिस तरह से अचानक राज्यपाल बेबी रानी मौर्य की विदाई हुई, यह बदलाव जिन परिस्थितियों में हुआ, वह ठीक नहीं था।
भाजपा के ही सूत्र बता रहे हैं कि राज्य सरकार और राजभवन के बीच कुछ खटपट चल रही थी। अब वह सरकार को अप्रिय तथ्य की तरह खटकने लगीं थीं।
लेकिन जो कुछ हुआ, इससे राज्य में राज्यपाल जैसी संस्था की निष्पक्षता खतरे में आई है। उन्होंने कहा केंद्र जिस तरह से भाजपा और आरएसएस के लोगों को सांविधानिक पदों पर बैठा रही है, उससे इन संस्थाओं की निष्पक्षता कितनी बची रह पाएगी, यह कहना मुश्किल है। हरीश रावत ने कहा कि नए राज्यपाल सैन्य पृष्ठभूमि से हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि वह राजभवन की निष्पक्षता और पवित्रता को बनाए रखेंगे और इस संस्था को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देंगे।