रावण ने किया था देवी सीता से पहले उनकी सास का अपहरण, टाल नहीं पाया विधि का विधान……..

देहरादून: अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए रावण ने सीता माता का हरण किया था। लेकिन इससे भी पहले रावण ने देवी सीता की सास रानी देवी कौशल्या का अपहरण किया था। अपनी मृत्यु की खबर जानकर और विधि के विधान को टालने के लिए ही रावण ने रानी कौशल्या का अपहरण किया, लेकिन फिर भी कुछ न बदल सका। आइए विस्तार से जानें आनंद रामायण की कथा।

रामायण कथा के अनुसार, हम सभी जानते हैं कि लंकापति रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए माता सीता का हरण करके उन्हें लंका में अशोक वाटिका में रखा था। लेकिन आनंद रामायण के अनुसार, रावण ने केवल सीता माता का ही नहीं बल्कि इससे पूर्व उनकी सास का अपहरण भी किया था। ऐसा रावण ने अपने मन में बैठे एक भय और विधि के विधान को टालने के लिए किया था, लेकिन अंत में पराजित हो गया और वही हुआ जो पहले से तय था। तो आइए जानते हैं इस कथा के बारे में कि आखिर रावण को क्यों करना पड़ा था देवी सीता की सास रानी कौशल्या का अपहरण और क्यों नहीं टाल पाया वह विधि का विधान।

रानी कौशल्या ने पुत्र के लिए कराया यज्ञ का आयोजन
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रानी कौशल्या को पुत्र की इच्छा थी, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन कराया था। कौशल्या महाराज सुकौशल और अमृतप्रभा की पुत्री थीं व कोशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थीं। रानी के स्वयंवर के लिए अलग-अलग प्रदेशों के राजकुमारों को निमंत्रण भेजा गया था। उस समय राजा दशरथ और सुकौशल दुश्मन थे। लेकिन इस दुश्मनी को समाप्त करने के लिए दशरथजी ने सुकौशल के साथ पहल की थी । हालांकि, सुकौशल ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और राजा दशरथ को युद्ध के लिए आमंत्रित कर दिया। उस युद्ध में राजा दशरथ ने जीत हासिल की जिसके बाद न चाहते हुए भी सुकौशल को मित्रता का हाथ आगे बढ़ाना पड़ा। इसके बाद, धीरे-धीरे राजा दशरथ और सुकौशल मित्रता गहरी होती गई और फिर, सुकौशल ने अपनी पुत्री का विवाह राजा दशरथ के साथ कर दिया।

रावण ने इस भविष्यवाणी को टालने के लिए किया कौशल्या का हरण
राजा दशरथ ने विवाह के पश्चात कौशल्याजी को महारानी का पद प्रदान किया। आनंद रामायण के अनुसार, उसी दौरान लंकापति रावण को एक भविष्यवाणी के बारे में ज्ञात हुआ जिसके अनुसार, रानी कौशल्या के पुत्र द्वारा रावण की मृत्यु का विधान लिखा गया था। वहीं, ब्रह्मा जी ने भी रावण को पहले ही बता दिया था की राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र उनकी मृत्यु का कारण बनेंगे। ऐसे में विधि के विधान को टालने यानी अपनी भविष्यवाणी को टालने के लिए रावण ने देवी सीता की सास रानी कौशल्या का अपहरण किया था।

रावण ने कैसे किया रानी कौशल्या का हरण
कथाओं के अनुसार, राजा दशरथ और कैकेयी के विवाह के दिन ही रावण ने रानी कौशल्या को एक संदूक में डालकर सुनसान द्वीप पर तिमिंगल नामक मछली के मुंह में छिपा दिया था। इसके बाद, रावण लंका लौट आया। तिमिंगल कौशल्या को अपने मुंह में रखकर जल में घूम रही थी और तभी उसके सामने एक दुश्मन आ गया। अपने दुश्मन से युद्ध करने के लिए उसने संदूक को मुंह से निकालकर एक निर्जन टापू पर रख दिया।

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