आइये जानते है कब सावन शिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त में करें भगवान शिव का जलाभिषेक, जानें विधि व टाइमिंग……..

हरिद्वार: सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग के अभिषेक का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। जानें सावन शिवरात्रि जलाभिषेक मुहूर्त।

हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि मनाई जाती है। इस साल सावन शिवरात्रि 23 जुलाई को है। यह दिन भगवान शिव की पूजा-आराधना को समर्पित है। यूं तो सावन शिवरात्रि का पूरा दिन शिव उपासना के लिए उपयुक्त माना गया है। लेकिन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव का पूजन करने के साथ ही जलाभिषेक करने से शुभ फलों में वृद्धि की मान्यता है। इस दिन व्रत करना अत्यंत शुभ माना गया है।

कहते हैं कि इस दिन शिव उपासना करने से साधक को सुख-समृद्धि व यश-कीर्ति की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन की शिवरात्रि भगवान शिव व माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। यही कारण है कि इस दिन शिव-पार्वती उपासना से अखंड सौभाग्य के साथ सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलने की मान्यता है। इस साल सावन शिवरात्रि पर भद्रा का साया रहने वाला है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा काल में पूजा-पाठ व मांगलिक कार्यों की मनाही है। जानें सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक का ब्रह्म मुहूर्त।

सावन शिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त कब से कब तक रहेगा: सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक व भगवान शिव की पूजा का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 15 मिनट से सुबह 04 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। ब्रह्म मुहू्र्त जिसका अर्थ है ब्रह्मा का समय। ब्रह्म मुहूर्त योग व ध्यान के लिए आदर्श समय माना गया है, क्योंकि इस समय आध्यात्मिक गतिविधियां अधिक फलदायी होती हैं।

सावन शिवरात्रि पर भद्रा कब से शुरू होगी: सावन शिवरात्रि के दिन भद्रा सुबह 05 बजकर 37 मिनट पर प्रारंभ होगी और दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।

शिवलिंग के जलाभिषेक की विधि: भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त स्नान आदि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए दूध-दही,शहद, घी और गंगाजल आदि से भगवान शिव का अभिषेक करें। भगवान शिव का अभिषेक करते समय मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। अब शिवलिंग पर बेलपत्र, मोली,साबुत अक्षत, फल, फूलस मिठाई व पान-सुपारी चढ़ाएं। अब भोलेनाथ की आरती करें।

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