उत्तराखंड में कैंची धाम जा रहे हैं 2 चीजें लाना ना भूलें, याद ना रहे तो मार लें रट्टा…पहले जान लें कब जाना होता है यहां सही…….
नैनीताल: कैंची धाम नीम करोली बाबा जा रहे हैं तो कुछ चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। यहां महाराज जी को प्रसाद अर्पित करना बेहद जरूरी है, साथ ही यहां से पवित्र मिट्टी लाना भी बेहद शुभ माना जाता है।
उत्तराखंड की पवित्र भूमि हमेशा से ही भक्तों के लिए अस्था का केंद्र रही है, इनमें से कैंची धाम अपनी दिव्यता और बेहद खूबसूरत माहौल के कारण खास महत्व रखता है। जब भक्त यहां आते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे मानों महाराज जी का आशीर्वाद आपके दिल में उतर गया ही। ये जगह ना केवल मानसिक शांति देती है बल्कि आपके विचारों और भावनाओं में सकारात्मक बदलाव लाने की ताकत भी रखती है।
यहां आने वाले हर भक्त की इच्छा रहती है कि इस वे इस पवित्र धाम की ऊर्जा अपने साथ घर ले जाएं। लेकिन सवाल है यहां से आप कौन सी चीजें ला सकते हैं और क्या चीज लाभकारी मानी जाती है। अगर आप जा रहे हैं तो चलिए बताते हैं और जानते हैं कौन सा समय यहां जाने का सही रहता है।
यहीं हैं दोनों चीजें
कैंची धाम की यात्रा का सबसे बड़ा अनुभव है महाराज जी को प्रसाद अर्पित करना। यहां बेसन के लड्डू, चने और हलवा विशेष भोग माने जाते हैं। घर से बना सात्विक प्रसाद अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे परिवार के सभी सदस्यों के साथ बांटने से काफी लाभ मिलता है। इसके अलावा, कैंची धाम की पवित्र मिट्टी भी बहुत दिव्य मानी जाती है। इसे घर लाकर किसी पवित्र स्थान पर रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति बनी रहती है। कहा जाता है कि जहां महाराज जी की ऊर्जा होती है, वहां नकारात्मकता का प्रवेश नहीं होता।
कैंची धाम जाकर इन 3 जगहों पर जरूर जाएं
हनुमान मंदिर: श्री कैंची हनुमान मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल है। यह मंदिर बाबा नीम करोली महाराज द्वारा 1960 के दशक में स्थापित किया गया था। यहां हनुमान जी की भव्य मूर्ति स्थापित है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर आशीर्वाद लेते हैं।
श्री काकड़ीघाट धाम: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक पवित्र स्थल है, जो गौला नदी के किनारे बसा है। यह स्थान भगवान शिव और स्वामी विवेकानंद से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने यहां साधना कर आत्मज्ञान प्राप्त किया था।
भूमियाधार का श्री हनुमान मंदिर: नैनीताल जिले के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर हरी-भरी पहाड़ियों और शांत वातावरण के बीच स्थित है, जहां भक्त शांति और भक्ति दोनों का अनुभव करते हैं।
कैंची धाम जाना समय कौन सा सही है
कैची धाम घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच होता है। इन महीनों में मौसम सुहावना और ठंडा रहता है, जिसमें यात्रा करना कम्फर्टेबल रहता है। गर्मियों में यहां हरियाली अपने पूरे शबाब पर होती है और मानसून के बाद पहाड़ों की सुंदरता और बढ़ जाती है। 15 जून को यहां बाबा नीम करौली महाराज का भंडारा होता है, जब हजारों भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं।
कैंची धाम जाने का खर्चा कितना आता है?
दिल्ली से कैंची धाम यात्रा का कुल खर्च एक व्यक्ति के लिए 1200 रु से 2500 रु तक हो सकता है, जिसमें बस/ट्रेन किराया, स्थानीय परिवहन, खाना और प्रसाद शामिल हैं। बजट के मुताबिक खर्च बदलता रहता है, इस बजट में आपको एसी बसें महंगी पड़ेंगी, जबकि सस्ते खाने और रहने के ऑप्शंस से खर्चे कम किए जा सकते हैं।
कैसे पहुंचे कैंची धाम
कैची धाम, नैनीताल जिले में नैनीताल और भुवाली के बीच स्थित है। यहां पहुंचने के लिए सबसे पास का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो लगभग 38 किलोमीटर दूर है। काठगोदाम से आप टैक्सी या लोकल बस लेकर आसानी से कैची धाम पहुंच सकते हैं। पास का हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है, जो लगभग 70 किलोमीटर दूर है। दिल्ली से कैची धाम तक सड़क मार्ग द्वारा भी पहुंचा जा सकता है, जिसकी दूरी करीब 320 किलोमीटर है।