आइये बनाना जानते है टेस्ट में बेस्ट छत्तीसगढ़िया चटनी, चख ली तो फिर मांगेंगे, नोट कर लें रेसिपी…….
देहरादून: इस चटनी का स्वाद न तो केवल तीखा होता है और न ही सिर्फ खट्टा टमाटर की खटास, लाल मिर्च का तीखापन और लहसुन की झनझनाहट इसे एकदम परफेक्ट चटनी बनाती है. यही वजह है कि इसे खाने के बाद स्वाद लंबे समय तक याद रहता है।
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक रसोई में स्वाद और सुगंध का जो अनोखा मेल मिलता है, वह किसी और जगह पर नहीं। इन्हीं व्यंजनों में शामिल है छत्तीसगढ़िया चटनी। एक ऐसी देसी डिश, जो हर घर में सुबह या शाम के भोजन का जरूरी हिस्सा होती है। यह चटनी सिर्फ स्वाद नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति का प्रतीक भी है। बिलासपुर की यह चटनी आग की सुगंध और देसी मसालों के मेल से बनती है, जो हर थाली में खास पहचान छोड़ जाती है।
आग में भूनकर बनती है देसी खुशबू वाली चटनी
इस चटनी को बनाने की शुरुआत होती है आग से. इसमें चार टमाटर, चार सूखी लाल मिर्च और एक कली लहसुन को आग में भून लिया जाता है। आग की लपटों में पकने से इसमें एक खास धुआं और देसी सुगंध घुल जाती है, जो इसे बाकी चटनियों से बिल्कुल अलग बनाती है.
सिलबट्टे पर पिसी जाती है छत्तीसगढ़िया पहचान
उन्होंने आगे कहा कि भुने हुए टमाटर, मिर्च और लहसुन को साफ करने के बाद सिलबट्टे पर थोड़ा नमक डालकर पीसा जाता है. पहले लहसुन और मिर्च को बारीक पीस लिया जाता है, फिर टमाटर को एक-एक करके मिलाया जाता है. सिलबट्टे की खुरदरी सतह चटनी को खास बनावट देती है, जिससे इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है।
तीखेपन और खटास का परफेक्ट बैलेंस
इस चटनी का स्वाद न तो सिर्फ तीखा होता है और न ही सिर्फ खट्टा टमाटर की खटास, लाल मिर्च की तीखापन और लहसुन की झनझनाहट इसे एकदम परफेक्ट बनाती है। यही कारण है कि इसे खाने के बाद स्वाद लंबे समय तक याद रहता है।
हर थाली की जान छत्तीसगढ़िया चटनी
छत्तीसगढ़िया चटनी को रोटी, चावल या बोरे बासी के साथ खाया जाता है। यह न सिर्फ स्वाद बढ़ाती है बल्कि भूख भी दोगुनी कर देती है। देसी स्वाद और पारंपरिक सुगंध से भरी यह चटनी हर छत्तीसगढ़िया थाली की जान मानी जाती है।

